लोगों को न्याय देने में महाराष्ट्र टॉप पर : इंडिया जस्टिस रिपोर्ट

नई दिल्ली : ऑनलाइन टीम – देश में लोगों को न्याय देने के मामले में महाराष्ट्र सभी राज्यों में अव्वल है। टाटा ट्रस्ट की तरफ से तैयार इंडिया जस्टिस रिपोर्ट-2020 के मुताबिक, महाराष्ट्र के बाद इस मामले में तमिलनाडु, तेलंगाना, पंजाब और केरल का नंबर आता है। एक करोड़ से कम आबादी वाले राज्यों में त्रिपुरा, सिक्किम और गोवा अपने नागरिकों को सबसे ज्यादा न्याय दे रहे हैं।

‘इंडिया जस्टिस रिपोर्ट’ का दूसरा संस्करण पुलिस, न्यायपालिका, जेल और कानूनी सहायता से संबंधित अलग-अलग सरकारी आंकड़ों पर आधारित है। टाटा ट्रस्ट ने सेंटर फॉर सोशल जस्टिस, कॉमन काउज, कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट इनिशिएटिव, दक्ष, टीआईएसएस-प्रयास, ‘विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी’ और ‘हाउ इंडिया लिव्स’ के साथ तालमेल से यह रैकिंग तैयार की है।

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में महिला जजों की संख्या महज 29 फीसदी है। हालांकि हाईकोर्ट में महिला जजों का औसत 11 से बढ़कर 13 फीसदी, जबकि सहायक अदालतों में 28 से बढ़कर 30 फीसदी हुआ है। लेकिन रिपोर्ट की प्रस्तावना लिखने वाले सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एमबी लोकुर ने लंबित मुकदमों की संख्या पर चिंता जताई है। जस्टिस लोकुर के मुताबिक, नेशनल ज्युडिशियल डाटा ग्रिड के हिसाब से 3.84 करोड़ से ज्यादा मुकदमे जिला अदालतों में लंबित है। इसमें सभी हाईकोर्ट में लंबित 47.4 लाख मुकदमे भी जोड़ दें तो यह संख्या 4 करोड़ के पार पहुंच जाती है। उन्होंने इस हालत से निपटने के लिए बड़े पैमाने पर न्यायिक सुधार की आवश्यकता जताई है।

पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि न्यायिक सुधार बहुत जरूरी हैं और इसे युद्ध स्तर पर इसे करना होगा। जेल के संबंध में रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रति कैदी औसतन खर्च भी करीब 45 प्रतिशत तक बढ़ा है। आंध्र प्रदेश में वार्षिक तौर पर सबसे ज्यादा 2,00,871 रुपये जबकि मेघालय में एक कैदी पर 11,046 रुपये खर्च होता है। रिपोर्ट में न्याय प्रदान करने वाली प्रणाली- न्यायपालिका, पुलिस जेल और कानूनी सहायता से संबंधित आंकड़ों पर गौर किया गया।