पिंपरी चिंचवड़ में महायुति को बगावत का ग्रहण

पिंपरी : समाचार ऑनलाईन –  गठबंधन और सीटों के बंटवारे को लेकर आखिरी दौर तक चली रस्साकशी के बाद भाजपा- शिवसेना- आरपीआई व अन्य मित्रदलों की महायुति की घोषणा हो गई। मगर सीटों के बंटवारे गठबंधन और सीटों के बंटवारे को लेकर आखिरी दौर तक चली रस्साकशी के बाद  को लेकर जारी खींचातानी खत्म नहीं हो सकी। नतीजन काफी जगहों पर महायुति को बगावत का ग्रहण लगा है। पिंपरी चिंचवड़ शहर में पिंपरी और चिंचवड़ विधानसभा चुनाव क्षेत्रों में यही आलम है। पिंपरी के बाद शुक्रवार को शिवसेना के नगरसेवक राहुल कलाटे ने भी बगावत का परचम लहराते हुए नामांकन पत्र दाखिल किया। बतौर निर्दलीय प्रत्याशी के कलाटे ने महायुति के प्रत्याशी व भाजपा विधायक लक्ष्मण जगताप को चुनौती दी है। हालांकि चुनाव की तस्वीर 7 अक्टूबर यानी नामांकन वापसी की मियाद के बाद ही स्पष्ट हो सकेगी।
महायुति में सीटों के बंटवारे के तहत चिंचवड़ विधानसभा की सीट भाजपा के पास गई है। भाजपा ने यहां से मौजूदा विधायक लक्ष्मण जगताप को मैदान में उतारा है। पिछले चुनाव में उन्हें कड़ी टक्कर देनेवाले शिवसेना राहुल कलाटे ने इस बार बतौर निर्दलीय प्रत्याशी के उन्हें चुनौती दी है। दूसरे प्रत्याशियों की भांति कलाटे भी चिंचवड़ से प्रबल इच्छुक थे। माना जा रहा था कि महायुति में शिवसेना के शामिल होने की सूरत में राष्ट्रवादी कांग्रेस का दामन थामेंगे। मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया और राष्ट्रवादी ने आज नामांकन भरने की आखिरी मियाद में विधायक जगताप के परम शिष्य रहे स्थायी समिति के भूतपूर्व सभापति प्रशांत शितोले को यहां से प्रत्याशी घोषित किया है। इसी बीच राहुल कलाटे ने बगावत का परचम लहराते हुए निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन पत्र दाखिल किया।
भोसरी विधानसभा की सीट ही अपवाद
चिंचवड़ के अलावा पिंपरी विधानसभा चुनाव क्षेत्र में भी महायुति को बगावत का ग्रहण लगा है। यह सीट शिवसेना को मिली है और पार्टी ने यहां से मौजूदा विधायक एड गौतम चाबुकस्वार को पुनः मैदान में उतारा है। इस सीट के लिए भाजपा के कई इच्छुक थे। चाबुकस्वार के खिलाफ लोकशाहीर अण्णा भाऊ साठे महामंडल के अध्यक्ष अमित गोरखे, नगरसेवक बालासाहेब ओव्हाल, भूतपूर्व नगरसेवक भीमा बोबड़े ने बतौर निर्दलीय नामांकन पत्र दाखिल किया है। भाजपा के अलावा महायुति में शामिल आरपीआई (आठवले गुट) ने भी पिंपरी की सीट पर दावा किया था। मगर यह सीट शिवसेना को दिए जाने से आरपीआई में तीव्र नाराजगी का माहौल व्याप्त है। आरपीआई की वरिष्ठ नेता चंद्रकांता सोनकांबले ने भी बतौर निर्दलीय प्रत्याशी के नामांकन पत्र दाखिल किया है। इससे पहले आरपीआई के नए शहराध्यक्ष सुरेश निकालजे ने शिवसेना के प्रचार में शामिल न होने का ऐलान किया है। केवल भोसरी विधानसभा की सीट इसमें अपवाद साबित हुई है। यहां महायुति के प्रत्याशी विधायक महेश लांडगे के खिलाफ प्रमुख विपक्षी दल राष्ट्रवादी कांग्रेस भी खुले तौर पर प्रत्याशी देने में नाकाम रही है।