मकर संक्रांति स्पेशल: जानिए क्या है गंगा स्नान का महत्व और क्यों हैं ये खास…

पुणे : समाचार ऑनलाइन (असित मंडल) – मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर देशभर में श्रद्धालुओं गंगा सहित कई पवित्र नदियों में डुबकी लगाकर स्नान करते है और भगवान सूर्य की अराधना करते है। इस दौरान कई पवित्र स्थल जैसे वाराणसी, प्रयागराज, काशी, हरिद्वार आदि जगहों में सुबह से श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटनी शुरू हो जाती है। इस मौके पर श्रद्वालुओं के लिए हर जगह खास इंतजाम किए गए हैं। बात करें हरिद्वार में तो वहां महिलाओं और पुरुषों के स्नान के लिए अलग-अलग व्यवस्थाएं की गई हैं वहीं, प्रयागराज, वाराणसी में श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं।

गंगा स्नान का महत्व –
पुराणों के अनुसार, इस स्नान का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करके अगर दान किया जाता है तो आपकी हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही गंगा में डुबकी लगाने से 10 गुना अधिक फल की प्राप्ति होती है। बता दें इस सूर्य इस बार मकर राशि की संक्रांति में 14 जनवरी 2019 यानी सोमवार को रात 2.19 मिनट पर प्रवेश करेंगे और इसी के साथ मकर संक्रांति का मुहूर्त भी शुरु हो जाएगा।

महाराष्ट्र में गुड़ व तमिलनाडु में पोंगल उत्सव –
मकर संक्रांति का उत्सव पुरे देशभर में मनाया जाता है, लेकिन इसे अलग-अलग राज्यों में अलग नामों से जाना जाता है। महाराष्ट्र में इस दिन गुड़ तिल बांटने की प्रथा है। यह बांटने के साथ-साथ मीठा बोलने का आग्रह किया जाता है। गंगा सागर में भी इस मौके पर मेला लगता है। कहा जाता है कि ‘सारे तीर्थ बार-बार गंगासागर एक बार’।
वही तमिलनाडु में इसे पोंगल के रूप में चार दिन मनाते हैं और मिट्टी की हांडी में खीर बनाकर सूर्य को अर्पित की जाती है। पुत्री तथा दामाद का विशेष सत्कार किया जाता है। साथ ही असम में यही पर्व भोगल बीहू हो जाता है।

इस अवसर पर ये करें –
मकर संक्रांति पर दान का विशेष महत्व माना गया है। मिथुन राशि के लोगों को कपड़े का, कर्क राशि वालों को चावल-चीनी, सिंह राशि के जातकों को गेहूं-गुड़ और कन्या राशि वालों को मूंग दान करना चाहिए। अपनी इच्छा से अन्य चीजें भी दान कर सकते हैं। इस दिन अपने आराध्य देव की आराधना भी कर सकते हैं। इसके लिए अलग-अलग मंत्रों का उच्चारण भी किया जा सकता है। मकर संक्रांति का मुहूर्त शुरु होने के बाद जल्द से जल्द स्नान करने शुभ माना जाता है।माना जाता है कि सूर्योदय से ठीक पहले यानी ब्रम्ह मुहूर्त में स्नान करने से विशेष फल मिलता है। इस दिन आराध्य देवता की पूजा करने के बाद तिल के लड्डू और खिचड़ी खानी चाहिए।

भूल कर भी ना करें ये काम –
सूर्य को जल लोहे ,स्टील या प्लास्टिक के पात्र से मत दें। इसके साथ ही घर में कोई भी सदस्य कहीं भी मांसाहारी भोजन न करे। शराब का सेवन घर के कोई भी सदस्य को नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही धूम्रपान भी वर्जित माना गया है। घर पर बनने वाले भोजन में लहसुन और प्याज ना डालें। केवल खिचड़ी बनाएं और वही खाएं। भोजन बनने की जगह खाना न खाये। पूरे दिन नए या एकदम साफ कपड़े धारण करें। गंदे कपड़े न पहनें। इस दिन सत्य वाणी बोलना चाहिए।
इस दिन किसी की भी निन्दा नहीं करना चाहिए।

इन मंत्रों से करें अराधना –
श्री गणेश गायत्री मंत्र- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ति प्रचोदयात्।
श्री शिव गायत्री मंत्र- ॐ महादेवाय विद्महे रुद्रमूर्तये धीमहि तन्नो शिव प्रचोदयात।
श्री विष्णु गायत्री मंत्र- ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु: प्रचोदयात।
महालक्ष्मी गायत्री मंत्र- ॐ महालक्ष्मयै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात।
सूर्य गायत्री मंत्र- ॐ भास्कराय विद्महे महातेजाय धीमहि तन्नो सूर्य प्रचोदयात।