रिटायर्ड आईपीएस ऑफिसर के सुसाइड नोट से मुश्किल में फंसी ममता बनर्जी

कोलकाता : समाचार ऑनलाइन – रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी गौरव चंद्र दत्त के सुसाइड नोट से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मुश्किल में नज़र आ रही है। बता दें कि 19 फरवरी को रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी गौरव चंद्र दत्त ने आत्महत्या कर लिया था। घटना के बाद से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी विपक्षी नेताओं के तीखे हमले की चपेट में आ गई हैं। लगभग एक दशक तक अनिवार्य प्रतीक्षा पर रहने के बाद 1986 बैच के आईपीएस दत्त 31 दिसंबर 2018 को रिटायर्ड हुए। अधिकारी ने आठ पन्नों का पत्र भेजने के बाद अपनी कलाई काटकर आत्महत्या कर ली। उन्होंने उचित सुनवाई के बिना 10 साल की सजा के लिए सिस्टम को दोषी ठहराया है।

एक मीडिया पब्लिकेशन के अनुसार, दत्त ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि लगातार अत्याचार और अपमान ने मुझे इस कठोर कदम के लिए प्रेरित किया। इस पर भाजपा के राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा ने कहा है कि वह केंद्रीय गृह मंत्रालय से इस बात की गहन जांच करने का अनुरोध करेंगे कि राज्य सरकार ने दत्त के खिलाफ 10 साल तक विभागीय जांच क्यों की। उधर कभी ममता बनर्जी के विश्वासपात्र रहे मुकुल रॉय ने मांग की है कि मुख्यमंत्री के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया जाए। वहीं सीपीएम सांसद मोहम्मद सलीम ने कहा है कि ऐसी स्थिति की कल्पना करें, जब एक आईपीएस अधिकारी जो अभी सेवानिवृत्त हुआ है। उसे इस तरह का कठोर कदम उठाना पड़ा।

मृतक की पत्नी श्रेयसी दत्त ने कहा कि मेरे पति ने कुछ करीबी दोस्तों को भी ये पत्र भेजा। अनिवार्य प्रतीक्षा पर रखे गए अधिकारियों को पोस्टिंग नहीं दी जाती है। कानून में, अनिवार्य प्रतीक्षा एक सजा नहीं है और इसे एक अल्पकालिक उपाय के रूप में डिजाइन किया गया था। दत्त को 2009 में राज्य के मानवाधिकार आयोग में दो कांस्टेबलों की पत्नियों द्वारा यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने के बाद अनिवार्य प्रतीक्षा पर रखा गया था। मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्जी उस समय गृह विभाग के प्रभारी थे।

दत्त ने आरोप लगाया कि उन्हें उत्पीड़न मामले में फंसाया गया क्योंकि उन्होंने भ्रष्टाचार और अन्य दुर्भावनाओं से बैरकपुर में पुलिस प्रशिक्षण कॉलेज को मुक्त करने की कोशिश की। दत्त ने यह भी उल्लेख किया कि 2011 में राज्य में सरकार बदलने के बाद उन्हें न्याय मिलने की उम्मीद थी, जो नहीं हुआ। उन्होंने आगे पत्र में लिखा है कि मैं सरकार की बर्बरता, प्रतिशोधी रवैये और मुझे नष्ट करने की भावना का सामना नहीं कर सका। रिटायर्ड के बाद की मेरी वित्तीय स्थिति खराब हो गई है।