डेवलपर्स को 5% स्लम टीडीआर इस्तेमाल की अनिवार्यता

पिंपरी : समाचार ऑनलाइन – झुग्गी पुनर्वसन परियोजनाओं को प्रोत्साहन देने के लिए पिंपरी चिंचवड़ शहर के डेवलपर्स को पांच फीसदी स्लम टीडीआर इस्तेमाल की अनिवार्यता करने का फैसला किया गया है। इस फैसले को पुणे मनपा के फैसले का आधार देते हुए मनपा आयुक्त श्रावण हार्डिकर ने स्पष्ट किया कि, पुणे मनपा द्वारा 20 फीसदी ‘स्लम टीडीआर’ क्षेत्र दिया जा रहा है। अगर स्लम टीडीआर न हो तो अन्य 80 फीसदी टीडीआर अनुज्ञेय नहीं है। पिंपरी चिंचवड़ शहर में फिलहाल छह माह के लिए यह अनिवार्यता की गई है। स्लम टीडीआर की उपलब्धता के अनुसार आगे का फैसला किया जाएगा।
मनपा के नियोजन विनियमों के निर्माण नियंत्रण क्षेत्र में हस्तांतरणीय विकास अधिकार (टीडीआर) के उपयोग के संबंध में एक नियमावली है। इसमें प्रावधान है कि अनुज्ञेय (प्रयोग करने योग्य) टीडीआर का कम से कम 20 प्रतिशत  स्लम टीडीआर ’होना चाहिए। झुग्गी पुनर्वास योजना को बढ़ावा देने के लिए, ‘स्लम टीडीआर’ का उपयोग करने का प्रावधान नियमावली में किया गया है। वर्तमान में, स्लम टीडीआर उपलब्ध नहीं रहने से निर्माणकार्य क्षेत्र इस्तेमाल करते वक्त अनुमति लेते वक्त 20 फीसदी स्लम।टीडीआर क्षेत्र छोड़कर अधिकतम निर्माण कार्य क्षेत्र नियोजित कर निर्माणकार्य अनुमति के प्रस्ताव दे रहे हैं। ऐसे कुछ प्रस्तावों में स्लम टीडीआर इस्तेमाल की दृष्टि से सामासिक अंतर और इमारत की ऊंचाई के लिए जरुरी प्रावधान नहीं रखते। ऐसे मामलों में स्लम टीडीआर इस्तेमाल करना संभव नहीं होगा।
नगरसेवक संदीप वाघेरे ने जताया विरोध
मूल एफएसआई पर अतिरिक्त निर्माणकार्य टीडीआर इस्तेमाल कर अनुज्ञेय करते वाक्य मौजूदा हालात में उपलब्ध स्लम टीडीआर का विचार कर इस्तेमाल किये जाने वाले टीडीआर में कम से कम पांच फीसदी स्लम टीडीआर इस्तेमाल करना जरूरी है। 2019 में पिंपरी चिंचवड शहर में टीडीआर के अंतर्गत 374038.92 वर्ग मीटर क्षेत्र निर्माण हुआ है। इसमें से 579480.55 वर्ग मीटर टीडीआर क्षेत्र निर्माणकार्य अनुमति के मामलों में खर्च हुए हैं। अब उपलब्ध रहे 7500.00 वर्ग मीटर ‘स्लम टीडीआर’ के क्षेत्र का विचार कर कम से कम पांच फीसदी ‘स्लम टीडीआर’ इस्तेमाल की अनिवार्यता की जाएगी। बहरहाल खुद सत्तादल भाजपा के नगरसेवकों द्वारा इस अनिवार्यता का विरोध करना शुरू कर दिया गया है। पेशे से बिल्डर रहे भाजपा नगरसेवक संदीप वाघेरे ने मनपा आयुक्त को सौंपे एक ज्ञापन में इस अनिवार्यता का विरोध करते हुए आरोप लगाया है कि इस फ़ैसले से टीडीआर की खरीद फरोख्त में काला बाजार करने के लिए मनपा की ओर से ही प्रोत्साहन दिया जा रहा है।