एक साल में महज 28 दिन काम…कितने कामचोर हैं हमारे विधायक

नई दिल्ली: समाचार ऑनलाइन – विधायक अपने वेतन का रोना आये दिन रोते रहते हैं। अलग-अलग विचारधारा वाले विधायक भी इस मुद्दे पर एकसाथ खड़े नज़र आते हैं, लेकिन यदि उनके काम पर गौर किया जाए तो जितनी सैलरी एवं भत्ते उन्हें मिल रहे हैं, वह भी ज्यादा ही दिखाई देते हैं। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च ने 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के 2011 से 2016 तक के काम का विश्लेषण किया है। इस विश्लेषण से पता चलता है कि हमारे अधिकांश विधायक कामचोर हैं।

यहां है महाराष्ट्र

विश्लेषण के मुताबिक, विधानसभाओं में औसत तौर पर साल भर में सिर्फ 28 दिन ही काम हुआ है। जबकि विधायकों की तुलना में सांसदों का रिकॉर्ड काफी अच्छा रहा। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के 6 साल के आंकड़ों से पता चला है कि 26 में से 13 विधानसभाओं में साल भर में 28 दिन या उससे ज्यादा काम हुआ है। इनमें सबसे ज्यादा केरल में 46 दिन, कर्नाटक में 46, महाराष्ट्र में45 और ओडिशा में 42 दिन काम हुआ।

यह राज्य शामिल नहीं

यूपी, राजस्थान, हरियाणा, झारखंड और पश्चिम बंगाल उन 13 राज्यों में से एक हैं, जहां साल भर में 28 दिन से भी कम काम हुआ है। इस लिस्ट में नगालैंड, दिल्ली और सिक्किम सबसे नीचे हैं। अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, पंजाब, त्रिपुरा और पुड्डुचेरी की विधानसभाओं को पर्याप्त डेटा न होने की वजह से इस लिस्ट में शामिल नहीं किया गया है।

संसद का रिकॉर्ड बेहतर

विश्लेषण में यह पाया गया कि राज्यसभा और लोकसभा के सदस्यों ने 2011 से 2016 तक ज्यादा दिनों तक कम किया। लोकसभा के सदस्यों ने औसत तौर पर साल भर में 70 दिन काम किया और राज्यसभा के सदस्यों ने 69 दिन काम किया। संसद में बजट सत्र के दौरान ही सदस्यों ने सबसे ज्यादा दिनों तक काम किया।