एमएलसी चुनाव: दोनों कांग्रेस के लिए खतरे की घँटी; भाजपा की राह भी नहीं आसान

पुणे। पुणे समाचार ऑनलाइन

हालिया घोषित हुए महाराष्ट्र विधानपरिषद (एमएलसी) चुनाव ने सत्ता में वापसी की कोशिशों में जुटी कांग्रेस व राष्ट्रवादी कांग्रेस के लिए खतरे की घँटी बजा दी है। चार में से दो सीटें जीतने वाली शिवसेना के हौसले बुलंद हैं, वहीं ‘अब की बार, फिर भाजपा की सरकार’ का नारा लगाने वाली सत्ताधारी भाजपा की राह भी आसान नजर नहीं आ रही। एमएलसी की चार में से शिवसेना ने दो सीटें जीती हैं वहीं सत्तादल को एक सीट पर संतोष जताना पड़ा है। दोनों कांग्रेस के खाते में एक भी सीट नहीं आ सकी है।

एमएलसी की चार में से दो सीटें जीतकर शिवसेना ने पालघर लोकसभा उपचुनाव में भाजपा से मिली हार का बदला ले लिया है। मुंबई स्नातक और नासिक शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र शिवसेना के कब्जे में चले गए। यहां से क्रमवार विलास पोतनीस और किशोर दराडे जीते हैं। भाजपा के खाते में कोंकण स्नातक निर्वाचन क्षेत्र आय है। यहां से राष्ट्रवादी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए निरंजन डावखरे ने बाजी मारी है। मुंबई शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र पर लोकभारती के कपिल पाटिल ने फिर से परचम लहराया है।

मुंबई स्नातक निर्वाचन क्षेत्र 1985 से ही शिवसेना के कब्जे में है। इसपर कब्जा जमाने के लिए भाजपा ने कई पैंतरे आजमाए थे। मगर अपने मजबूत संगठन की बदौलत शिवसेना उम्मीदवार विलास पोतनीस ने भाजपा के उम्मीदवार अमित महेता को 11 हजार 573 वोटों से शिकस्त दी। सत्तादल को उत्तर भारतीय वोटों से काफी उम्मीद थी परन्तु मेहता को कुल मिलाकर 7792 वोट ही मिल सके। नासिक शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र में शिवसेना उम्मीदवार किशोर दराडे को 16 हजार 886 वोट मिले। यहां 10 हजार 970 वोट पानेवाली राष्ट्रवादी कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही जबकि सत्तादल भाजपा तीसरे नंबर पर फेंकी गई। उसके उम्मीदवार को 6329 वोट ही मिल सके।

कोंकण स्नातक निर्वाचन क्षेत्र में शिवसेना- भाजपा के बीच कांटे की टक्कर हुई और आखिरी राउंड में बाजी भाजपा के हाथ लगी। राष्ट्रवादी छोड़ भाजपा में शामिल हुए निरंजन डावखरे को 32 हजार 813 वोट मिले, जबकि शिवसेना के संजय मोरे को 24 हजार 704 वोट मिले। मुंबई शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र में लोकभारती पार्टी के उम्मीदवार और मौजूदा विधायक कपिल पाटिल ने फिर अपनी ताकत दिखाई। पाटिल ने अपने काम के दम पर 4050 वोट हासिल किए, भाजपा के अनिल देशमुख को 1124 वोट ही मिल सके। एमएलसी चुनाव के नतीजों ने एक बार फिर कांग्रेस, राष्ट्रवादी के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। कुछ दिनों पहले हुए एमएलसी की 6 सीटों में से कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत सकी थी, जबकि राष्ट्रवादी के खाते में केवल एक सीट ही आ सकी थी। दो सीट जीतकर शिवसेना के हौसले भले बुलंद हो मगर कोंकण की सीट से मिली हार ने उसकी चिंता बढा दी है। वहीं पुनः सत्ता पाने की जद्दोजहद में जुटी भाजपा की राह आसान नहीं नजर आ रही।