मोदी का मैजिक, शाह का मैनेजमेंट और संघ की किलेबंदी = भाजपा की जीत

बेंगलुरु:

कर्नाटक में भाजपा ने कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर दिया है। भाजपा की इस जीत का श्रेय काफी हद तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है। मोदी ने यहां कुल 21 रैलियां की और लगभग सभी में उन्हें सुनने को भीड़ लालायित दिखी। मोदी ने अपने शैली के अनुरूप आक्रामक चुनाव प्रचार किया, हालांकि इसके लिए उन्हें विपक्ष और मीडिया के एक धड़े के शब्द बाण भी झेलने पड़े, लेकिन पार्टी को इसका जबरदस्त फायदा हुआ। मोदी ने जहाँ सभाएं कि उनमें 6 में से 5 क्षेत्रों में भाजपा ने कांग्रेस का वर्चस्व समाप्त कर दिया।  यहां तक मैसूर में भी कमजोर रहने वाली भाजपा ने इस बार कांग्रेस के बराबर सीटें हासिल की। नरेंद्र मोदी के अलावा अमित शाह के बूथ मैनेजमेंट ने कर्नाटक में भाजपा की राह को मजबूत किया। सिद्धारमैया के खिलाफ पिछले पांच साल में ऐसी कोई लहर नहीं थी, जिसे बड़ा मुद्दा बनाया जा सके, लेकिन प्रधानमंत्री के साथ साथ अमित शाह ने उन पर आक्रामक हमले किए और उन्हें कमीशन वाला मुख्यमंत्री करार दे दिया। इतना ही नहीं अमित शाह कर्नाटक के लोगों को लिंगायत के मुद्दे पर अपनी बात पहुंचाने में कामयाब रहे। पन्ना प्रमुख का उनका फॉर्मूला भी यहां कारगर रहा। कांग्रेस ने चुनाव से ठीक पहले लिंगायत को अलग धर्म के तौर पर मान्यता देने का मास्टर स्ट्रोक चला था, लेकिन कांग्रेस पर ये दांव ठीक उल्टा पड़ा। लिंगायत बहुल इलाके में भाजपा को बाकी सभी पार्टियों के मुकाबले सबसे ज्यादा सीटें 39 मिलीं।

पहले जान लिया था जनता का मन
भाजपा की जीत में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की मजबूत किलेबंदी को नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता। संघ ने चुनाव से छह महीने पहले ही अपने कार्यकर्ताओं को कर्नाटक के अलग अलग क्षेत्रों में भेज दिया था। यहां तक कि कई कार्यकर्ता तो ऐसे रहे, जिन्हें कन्नड़ भाषा भी नहीं आती। इन कार्यकर्ताओं ने चुनाव से पहले भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने के साथ-साथ लोगों की अपेक्षाओं से पार्टी को अवगत कराया। जिसके अनुरूप भाजपा ने अपनी रणनीति में बदलाव किया और परिणाम सबसे सामने है।

गलती पड़ी भारी
इस चुनाव में कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने जेडीएस प्रमुख देवेगौड़ा को जमकर निशाना बनाया, और ये फैसला उनके और पार्टी के लिए काफी नुकसानदायक साबित हुआ। वोक्कालिगा समुदाय ने कांग्रेस को लगभग पूरी तरह नकार दिया, जबकि जेडीएस को वोक्कालिगा बहुल इलाकों में अच्छी बढ़त मिली। कांग्रेस इन इलाकों में तीसरे नंबर पर पहुंच गई है, जो यह साबित करता है कि वोक्कालिगा समुदाय को देवेगौड़ा की बुराई पसंद नहीं आई।