मुंबई के डिब्बेवालों को  फ्री में मिली नई साइकिल और हेलमेट, जानें किसने की यह मदद

नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम : मुंबई में 1890 में एक नए अध्याय की शुरुआत हुई थी। तब मालूम नहीं था कि समय के साथ यह दुनिया में अपनी तरह का अनोखा उपक्रम होगा, लेकिन आज मुंबई की डिब्बावालों की अपनी वैश्विक पहचान है। तीन घंटे के अंदर लाखों लोगों का खाना घर से लेकर दफ्तर तक पहुंचता है। एक डिब्बा वाला अमूमन हर रोज 60 से 70 किलोमीटर तक का सफर तय करता है। खाने की सप्लाई में साइकिल और मुंबई की लोकल ट्रेन की मदद होती है। अब सामान्य बीमा क्षेत्र की सबसे बड़ी निजी कंपनी के रूप में प्रतिष्ठित आईसीआईसीआई लोम्बार्ड (ICICI Lombard) मुंबई के डिब्बेवालों की सहायता के लिए आगे आई है। कंपनी ने डिब्बेवालों को नई साइकिलें और हेलमेट  प्रदान किए हैं।

इसके अलावा, इस पहल के तहत कुछ साइकिलों की मरम्मत की गई है । सड़क यातायात सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए, कंपनी ने डिब्बेवालों को हेलमेट वितरित किए हैं ताकि वे भीड़भाड़ में भी मुंबई की सड़कों पर सुरक्षित रूप से साइकिल चला सकें।

इस अवसर पर, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड के विशेष निदेशक (ED) संजीव मंत्री ने कहा- हमें डिब्बेवालों को मदद करने का अवसर देने के लिए हम मुंबई डिब्बेवाला असोसिएशन को धन्यवाद देते हैं। एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में, हम मदद करने पर अपना ध्यान केंद्रित किया हैं। हम विभिन्न हितधारकों को अपने दिन-प्रतिदिन के जिंदगी को फिर से ठीक से शुरू करने में मदद कर रहे हैं।

डिब्बावालों के मैनेजमेंट की पूरे विश्व में प्रशंसा है। आईआईएम और हार्वर्ड बिज़नस स्कूल जैसे प्रतिष्ठित संस्थान डिब्बावालों पर रिसर्च कर चुके हैं और उनकी केस स्टडी अपने पाठ्यक्रम में शामिल कर चुके हैं। जब प्रिंस चार्ल्स भारत में 2003 में आये तो उन्होंने डिब्बेवालों के साथ ‘चर्च गेट स्टेशन’ में समय बिताया। डिब्बेवाले इसके लिए 20 मिनट का समय निकाल पाए, ताकि किसी ग्राहक को डिब्बा देने में विलंब न हो। 2005 में जब प्रिंस चार्ल्स की शादी हुई तो उनके द्वारा बुलाये गए तीन भारतीय मेहमानों में 2 डिब्बेवाले थे -रघुनाथ मेडगे (डब्बावाला एसोसिएशन के अध्यक्ष और स्वपम मोरे (डिब्बावाला ट्रस्ट के अध्यक्ष)। डिब्बेवालों ने पैसे इकठ्ठा कर के प्रिंस चार्ल्स और उनकी दुल्हन ‘कैमिला पार्कर’ को एक पगड़ी और कोल्हापुरी साड़ी उपहार में दी थी।