आत्मकथात्मक है मेरा लेखन : एसीमैन

कोलकाता (आईएएनएस) : समाचार ऑनलाईन – अमेरिका के जाने-माने लेखक आंद्रे एसीमैन ने कहा है कि उन्हें बोझिल तथ्यों से नफरत है और उनका लेखन एक खास तरह का आत्मकथात्मक है। आंद्रे के चर्चित उपन्यास ‘कॉल मी बाय योर नेम’ पर आधारित फिल्म ने पिछले साल अकादमी पुरस्कार जीता था, जिसका निर्देशन लुका गुआदाग्निनो ने किया था। एसीमैन (68) ने आईएनएस से कहा, “मेरा लेखन हमेशा ही आत्मकथात्मक होता है, लेकिन एक विशेष प्रकार का आत्मकथात्मक होता है। मैं उसे व्यापकता प्रदान करता हूं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि मुझे बेकार के बोझिल तथ्य पसंद नहीं हैं। क्योंकि तथ्यों के आने से कल्पनाशीलता को विस्तार नहीं मिल पाता।”

एसीमैन ने टाटा स्टील कोलकाता साहित्योत्सव 2019 से अलग बातचीत में यह बात कही। एसीमैन चाहते हैं कि उनका लेखन उनको वह व्यक्ति बनने का मौका दे, जो वह असल में नहीं हैं। ऐसा करके वह स्वयं को बेहतर ढंग से जानने और अपने अस्तित्व को पहचानना चाहते हैं और वह ऐसा करने से कतई नहीं डरते। मिस्र में जन्मे और फ्रेंच भाषी ऐसीमैन ने पांच साल की आयु में अंग्रेजी भाषा सीख ली थी। वह कहते हैं, “मैं यह जानना चाहता हूं कि मैं कौन हूं और मैं क्या नहीं बन सका। जीवन और इतिहास जिस तरह से चलते हैं, वे अपनी ही गति में हस्तक्षेप करते हैं। मेरी एक भावुक गति है, जो अपने ही मार्ग पर चलती है। मैं इसी तरह से जीवन जीता हूं। जरूरी नहीं है कि वे दोनों एक-दूसरे से संवाद करें।”

उनका वर्ष 2007 में प्रकाशित उपन्यास ‘द कमिंग ऑफ ऐज’ दो लड़कों -एलियो और ओलिवर- की कहानी है। अपने उपन्यास ‘इनिग्मा वेरिएशन्स’ जो एक लड़के के प्रेम जीवन पर आधारित है, पर बात करते हुए उन्होंने कहा, “सभी चीजें रहस्यपूर्ण हैं, क्योंकि नायक इसे नहीं जानते, जिस तरह से हम इस बात को नहीं जानते कि हमारी यौनिकता क्या है और इसे कोई नाम दे देना इसे एक तथ्य में बदल देना होता, जिससे मुझे नफरत है।” उन्होंने कहा, “व्यक्ति महिला या पुरुष किसी की भी इच्छा रख सकता है। वह अपनी इच्छा में बदलाव कर सकता है या फिर महिला या पुरुष दोनों के प्रति उदासीन हो सकता है।”

एसीमैन ने कहा कि उनके उपन्यास ‘कॉल मी बाय योर नेम’ में एक बहुत ही भद्दी लाइन है। मैं उस लाइन को हटाने का निर्णय लिया था, लेकिन मैंने उस लाइन को उपन्यास में बनाए रखा। यह लाइन मेरे स्वभाव के खिलाफ थी, लेकिन मैंने इस लाइन को इसलिए लिखा, क्योंकि यह उनकी यौनिकता को सटीकता के साथ बयां करती थी। मैं उनकी यौनिकता को धुंधला नहीं कर सकता।”

यह एसीमैन का पहला उपन्यास था, जिसे उन्होंने तीन महीने में लिखा था और अब वह इसका अगला संस्करण लिख रहे हैं। उन्होंने कहा, “मैंने इसे लिखते समय सावधानी नहीं बरती। ऐसा लेखक के साथ हमेशा नहीं होता। पुस्तक स्वयं को लिख रही थी, मैं महज एक टाइपराइटर का काम कर रहा था।” वह किशोरावस्था से मानते हैं कि प्यार सिर्फ एक बार होता है और वह कभी नहीं खत्म होता। उनके लेखन की वैश्विक अपील के बारे में उन्होंने कहा, “मैं एक विदेशी हूं, मुझे अपना ध्यान रखना है। मेरे लेखन की भाषा अलग है, ऐसी भाषा अंग्रेजी में कोई इस्तेमाल नहीं करता। इसलिए मुझे अपना ध्यान रखना होगा। मुझे ऐसे वाक्य लिखने पड़ते हैं, जो अंग्रेजी की सीमाओं को चुनौती दे सकें।”