सेवा विकास बैंक में 236 करोड का कर्ज घोटाला

पिंपरी। संवाददाता – व्यापारी वर्ग और सिंधी समुदाय की तिजोरी माने जाने वाले सेवा विकास को ऑप बैंक की आर्थिक समृद्धता को ग्रहण सा लग गया है। बैंक के निदेशक मंडल और प्रबंधन की मिलीभगत से 260 करोड़ रुपए का कर्ज घोटाला किए जाने की जानकारी उजागर हुई है। आरबीआई के आदेश से सहकारिता विभाग द्वारा की गई जांच में यह घोटाला सामने आने के बाद बैंक के शेयर होल्डरों और एकाउंट धारकों ने दोषियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराने की मांग की है। पुलिस आयुक्त ने इस मामले की छानबीन के बाद ठोस कार्रवाई का भरोसा दिलाया।

इस मांग को लेकर बैंक के शेयरहोल्डर और एकाउंट धारकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को पिंपरी चिंचवड़ पुलिस आयुक्त आरके पद्मनाभन से मिलकर उन्हें ज्ञापन और जांच रिपोर्ट पेश की है। इस प्रतिनिधि मंडल में भूतपूर्व नगरसेवक हरेश आसवानी, हरेश बोधानी, उद्योगपति राजकुमार आसवानी, वरिष्ठ नगरसेवक डब्बू आसवानी, कुमार मेघाणी, ईश्वर राजानी, महेश मेराणी, दिनेश पहुजा, धनराज आसवानी, किशोर पहुजा, राजेश सोनजा, रतन वाधवानी, श्याम कुकरेजा, विकी मंथन, गोपाल सेवानी, प्रकाश आसवानी, बंसी धनाणी, नितिन रोहरा आदि शामिल थे।

इस ज्ञापन में कहा गया है कि, रिजर्व बैंक द्वारा द सेवा विकास को ऑप बैंक लि. की जांच में कई अनियमितता पायी है। बैंक के निदेशक मंडल और प्रबंधन की मिलीभगत से बिना जमानत के महत्तम कर्ज की मर्यादा का उल्लंघन किया है। एक करोड़ या उससे ज्यादा की कैश क्रेडिट की सुविधा में भी लापरवाही बरती गई है। इस बारे में बैंक के शेयरहोल्डरों ने सहकारिता विभाग और रिजर्व बैंक से कई बार शिकायत की। इसके अनुसार की गई जांच में सारी शिकायतों में सच्चाई पायी गई है। बैंक में जमा लोगों, डिपॉजिटर्स, शेयरहोल्डरों के पैसों को हड़पने वाले निदेशक मंडल और प्रबंधन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने और उनसे पाई- पाई वसूलने की मांग की गई है।

सिंधी समुदाय के हित के लिए दि सेवा विकास को- ऑ. बैंक की स्थापना की गई है। 2010 से 2019 तक बैंक के निदेशक मंडल और प्रबंधन ने मिलीभगत से गलत तरीके से 104 लोगों को कर्ज बांटा गया है। इसका लेखा परीक्षण कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग सहकार आयुक्त व निबंधक सहकारी संस्था, महाराष्ट्र राज्य, पुणे से की गई थी। इसके अलावा पुलिस आयुक्त और पिंपरी थाने में भी शिकायत दर्ज कराई गई। इसकी जांच आर्थिक अपराध शाखा को सौंपी गई। इस शाखा के पुलिस निरीक्षक श्रीराम पोल न सहनिबंधक सहकारी संस्था (लेखा परीक्षण) को एक पत्र भेजा। इसमें रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और सहकारिता कानून व नियमों का अनुपालन न करते हुए गलत और मनमानी तरीके से कर्ज बांटे जाने की बात कही गई है और उस पर अभिप्राय मांगा था।

इसके अनुसार सहकार आयुक्त सतिश सोनी ने बैंक के लेखापरीक्षण के लिए सहनिबंधक सहकारी संस्था, (लेखा परीक्षण) के आर. यु. जाधवर की नियुक्ति कर दो माह में रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए। इसके बाद जाधवर ने लेखापरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है। इस रिपोर्ट की प्रति सूचना अधिकार के तहत हासिल की गई। इसमें बेहिसाबी मनमानी तरीके से कर्ज बांटे जाने की बात साबित हो गई है। यह दावा करते हुए बैंक केे शेयरहोल्डरों और एकाउंट धारकों के प्रतिनिधि मंडल ने पुलिस आयुक्त से सेवा विकास बैंक के निदेशक मंडल और प्रबंधन के खिलाफ मामला दर्ज कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है।