भीमा कोरेगांव हिंसा और एल्गार परिषद में कोई संबंध नहीं : एड्। उज्ज्वला पवार

पुणे : समाचार ऑनलाईन – समस्त हिंदू आघाड़ी के कार्याध्यक्ष मिलिंद एकबोटे और शिव प्रतिष्ठान के प्रमुख संभाजी भिड़े पर भीमा कोरेगांव प्रकरण में शिक्रापुर पुलिस स्टेशन में दर्ज केस और एल्गार परिषद विवाद का कोई संबंध नहीं होने का दावा जिला सरकारी वकील उज्ज्वला पवार ने बुधवार को कोर्ट में किया। इस मामले में गिरफ्तार आरोपी की जमानत पर कहा गया कि दो मामलों को एक-दूसरे में शामिल करने का प्रयास किया जा रहा है। एड्। उज्ज्वला पवार ने बताया कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने ही कोरेगांव भीमा हिंसा प्रकरण में इससे परे साजिश की आशंका जताई थी।
सुधीर ढवले, रोना विल्सन, वरावरा राव व महेश राउत सहित अन्य आरोपियों की जमानत पर स्पेशल जज किशोर वडणे की कोर्ट में सुनवाई हुई। सुदर्शन पहाड़ सिंह और रामटेके नाम के दो नक्सलियों के बयान पुणे पुलिस ने दर्ज किए हैं। एल्गार मामले में गिरफ्तार आरोपी प्रतिबंधित संगठनों के सक्रिय सदस्य हैं। दोनों से पूछताछ में पता चला है कि इन लोगों ने दलितों व अल्पसंख्यकों को संगठित कर माओवादी पॉलिसी को अमल में लाने के लिए काम किया। अशांति फैलाने के लिए फंड सप्लाई की गई व कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग दी गई। भूमिगत कार्यकर्ताओं के लिए ढाई करोड़ रुपए का फंड तैयार किया गया।
माओवादी आंदोलन से जुड़ने के लिए महाराष्ट्र और छतीसगढ़ के जंगलों में गए। वहां मिलिंद तेलतुंबडे और प्रशिक्षणार्थी से मुलाकात हुई। माओवादी नेता गणपति और जी।एन। साईंबाबा ने एड्। सुरेंद्र गडलिंग की किस तरह मदद की? यह भी पता चला है कि मिलिंद तेलतुंबडे ने 12 बोर गन, 200 जिंदा कारतूस दिए। रामटेके ने अपनी पूछताछ में बताया कि फरार सोनू भूपति ने अमेरिकी पिस्तौल और 20 जिंदा कारतूस दिए। एड्। पवार ने कोर्ट को बताया कि पहाड़सिंह ने विस्फोटक द्रव्य खरीदने हेतु योजना तैयार करने के लिए हैदराबाद के फरार आरोपी मूर्ति के संपर्क में आया।