भाजपा नगरसेवक कुंदन गायकवाड़ को राहत नहीं

पिंपरी। समाचार ऑनलाइन – जाति प्रमाणपत्र अवैध करार देने के बाद नागपुर हाईकोर्ट के पुनः जांच के आदेश से भी भाजपा के नगरसेवक कुंदन गायकवाड़ को राहत मिलती नजर नहीं आ रही। बुलढाणा की जाति पडतालनी समिति के फैसले पर हाईकोर्ट ने पुनः जांच करने के आदेश दिए हैं। इस पर पिंपरी चिंचवड़ मनपा आयुक्त ने अपने कानून विभाग से परामर्श मांगा था। सोमवार को कानून विभाग ने अपना अभिप्राय मनपा आयुक्त और निर्वाचन विभाग को भेज दिया है। इसमें कहा गया है कि, भले ही हाईकोर्ट ने जाति प्रमाणपत्र की पुनः जांच करने के आदेश दिये हों मगर इसके बाद भी कुंदन गायकवाड़ का नगरसेवक पद सुरक्षित नहीं रह सकता। ऐसा हाईकोर्ट के आदेश में भी उल्लेखित है। अब मनपा आयुक्त श्रावण हार्डिकर इस पर क्या फैसला करते हैं? इस ओर सभी की निगाहें टिकी हैं।

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गौरतलब हो कि कुंदन गायकवाड ने मनपा चुनाव के लिए नामांकन पर्चा भरते वक्त कैकाडी जाति का प्रमाणपत्र पेश किया था। चुनाव में उनके प्रतिस्पर्धी नितिन रोकड़े ने उनके जाति प्रमाणपत्र पर आपत्ति जताई थी। इसके अनुसार बुलढाणा की जाति प्रमाणपत्र पडतालनी समिति ने पूरी जाँच पड़ताल के बाद उनका प्रमाणपत्र अवैध करार दिया। इस फैसले को गायकवाड़ ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी जिसपर कोर्ट ने रोक लगाई थी। रोक की मियाद समाप्त होने के बाद पडतालनी समिति ने गायकवाड़ का प्रमाणपत्र अवैध करार दिया। साथ ही इस प्रमाणपत्र के आधार पर लिए गायकवाड़ को दिए गए सभी सरकारी लाभ लौटाने और फर्जीवाडे के जरिये सरकार के साथ धोखाधड़ी करने को लेकर उनके खिलाफ मामला दर्ज करने के आदेश दिए हैं।

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मनपा प्रशासन ने इस फैसले से राज्य सरकार को अवगत कराने के बाद कुंदन गायकवाड़ की सदस्यता खारिज कर दी। इस पर गायकवाड़ ने फिर हाईकोर्ट से दरकार लगाई। अब हाईकोर्ट ने जाति पडतालनी समिति को पुनः जांच के आदेश दिए हैं। गत सप्ताह मनपा आयुक्त श्रावण हार्डिकर ने इस पर कानूनी विभाग से राय मांगी। कानून विभाग ने सोमवार को अपना अभिप्राय मनपा आयुक्त और निर्वाचन विभाग को भेज दिया है। इसमें कहा गया है कि, भले ही हाईकोर्ट ने जाति प्रमाणपत्र की पुनः जांच करने के आदेश दिये हों मगर इसके बाद भी कुंदन गायकवाड़ का नगरसेवक पद सुरक्षित नहीं रह सकता।

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ऐसा हाईकोर्ट के आदेश में भी उल्लेखित है। उसी में सुप्रीम कोर्ट के चुनाव के छह माह के भीतर जाति प्रमाणपत्र न पेश करनेवाले नगरसेवकों के पद रद्द करने के आदेश दिए हैं। राज्य सरकार ने छह की बजाय एक वर्ष की मियाद निश्चित कर ऐसे नगरसेवकों को राहत दी है। यह अंतिम मियाद भी 12 अक्टूबर को खत्म हो गई है। इसके अनुसार कुंदन गायकवाड़ के साथ भाजपा की ही यशोदा बोइनवाड़ की सदस्यता भी खतरे में आ गई है।