अब दलाई लामा को लेकर चीन अमेरिका में ठनी 

वाशिंगटन. ऑनलाइन टीम : कोरोना के बाद अब धर्मगुरु दलाई लामा और उनके उत्तराधिकारी को लेकर अमेरिका और चीन में ठन गई है। चीन अपनी मर्जी के अनुसार अगले दलाई लामा का चयन करना चाहता है, तो अमेरिका का कहना है कि चीन को धर्मगुरु दलाई लामा का उत्तराधिकारी चुनने का कोई अधिकार नहीं। बौद्ध धर्म के तिब्बती अनुयायी सैकड़ों बरसों से अपना नेता सफलतापूर्वक चुनते आए हैं और उनके पास अब भी ऐसा करने का अधिकार है।

इस जंग के पहले इतिहास को समझना जरूरी है। साल 1995 में गेधुन को 11वां पंचेन लामा के तौर पर पहचाना गया था। यानी 6 साल का गेधुन तब तिबब्त में दलाई लामा के बाद दूसरा सबसे शक्तिशाली व्यक्ति हो गया। इसके 3 दिनों बाद ही गेधुन एकाएक लापता हो गया। कहा गया कि चीन ने अपने हितों के लिए उसे अगवा कर लिया और राजनैतिक बंदी बना लिया है। मानवाधिकार कार्यकर्ता गेधुन को सबसे कम उम्र का राजनैतिक बंदी बताते हुए उसकी रिहाई की पिछले 25 सालों से मांग करते रहे हैं। अब कोरोना संक्रमण की वजह से पहले से ही भड़का हुआ अमेरिका चीन पर दबाव डाल रहा है कि वो गेधुन को जल्द से जल्द रिहा कर सके। दूसरी तरफ,  चीनी सरकार खुद दलाई लामा का उत्तराधिकारी चुनना चाहती है, जो तिब्बतियों के धार्मिक हितों के खिलाफ है।

असल में दलाई लामा पिछले 25 सालों से ज्यादा वक्त से तिब्बत को चीन से आजाद करने की मुहिम चला रहे हैं। अगर उत्तराधिकारी खुद दलाई लामा द्वारा चुना जाए तो वो भी आजाद तिब्बत के लिए मुहिम चलाएगा। चीन ये नहीं चाहता। यही वजह है कि वो अपनी ओर से किसी को दलाई लामा का वारिस बनाना चाहता है ताकि वो चीन के प्रभाव में रहे। इससे तिब्बत में आजादी की मुहिम कमजोर पड़ जाएगी।

इस बीच दलाई लामा किसी तरह बच निकले और असम के रास्ते भारत आ पहुंचे। ये 1959 में अप्रैल की बात है। तत्कालीन सरकार ने दलाई लामा को हिमाचल में शरण दी। यहां से दलाई लामा ने अपने देश की आजादी के लिए मुहिम छेड़ दी। यहां से सताए हुए तिब्बत की आवाज दुनियाभर में पहुंचने लगी। चीन इस बीच दलाई लामा को ब्लैकलिस्ट कर चुका था और भारत से चीन की दुश्मनी की एक वजह दलाई लामा भी माने जाते रहे हैं। तेनजिन ग्यात्सो  14वें दलाई लामा हैं, जो फिलहाल हिमाचल में रह रहे हैं। इन्हें 13वें लामा द्वारा साल 1937 में उत्तराधिकारी चुना गया था। पूरी तरह तैयार होकर इन्होंने साल 1950 में अपनी जिम्मेदारी संभाली, तब इनकी उम्र महज 15 साल थी। बुद्ध के जीवन दर्शन पर चलने वाले तिब्बत में दलाई लामा सबसे प्रमुख आध्यात्मिक गुरु हैं।