अब साक्षी महाराज की नई मांग, कहा- मुस्लिमों का अल्पसंख्यक दर्जा खत्म हो, प्रतिक्रियाओं में बवाल तय  

नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम : भाजपा सांसद साक्षी महाराज अपने बयानों के लेकर हमेशा कटघरे में रहे हैं। इस बार फिर उन्होंने बड़ा बयान दिया है। साक्षी महाराज ने केंद्र सरकार से मुसलमानों का अल्पसंख्यक का दर्जा तत्काल समाप्त किए जाने की मांग की है। उनकी इस मांग पर बवाल होना तय है।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की कुल आबादी 20 करोड़ है और हिंदुस्तान में मुस्लिमों की आबादी 32 करोड़ है, जिसकी संख्या 32 करोड़ हो, वो कैसे अल्पसंख्यक हो सकते हैं। जब देश का बंटवारा हुआ था, तब इनकी संख्या 3 करोड़ और आज है 32 करोड़। इनकी बढ़ती आबादी के चलते भारत सरकार को ‘हम दो हमारे दो या सबके दो’ का कानून लाकर जनसंख्या नियंत्रण पर जोर देना चाहिए। भारत की जनसंख्या मुसलमानों की वजह से बढ़ गई है। उन्होंने सरकार से तत्काल इनकी अल्पसंख्यक का दर्जा समाप्त करने की मांग करते हुए कहा कि राष्ट्र हित में सरकार को जनसंख्या नियंत्रण का कड़ा कानून बनना चाहिए।

बता दें कि भारत के संविधान में अल्पसंख्यक शब्द का उल्लेख तो है लेकिन परिभाषा नहीं है। छह समुदायों को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया गया है। ये हैं, पारसी, मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और जैन। इनमें से पारसी, मुस्लिम, ईसाई, सिख और बौद्ध को 1993 में केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर अल्पसंख्यक घोषित किया और जैनों को 2014 में एक अलग अधिसूचना जारी कर के।

दरअसल, 1978 में केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक प्रस्ताव में अल्पसंख्यकों के लिए एक आयोग की बात की गई थी। उस प्रस्ताव में कहा गया था कि “संविधान में दिए गए संरक्षण और कई कानूनों के होने के बावजूद, देश के अल्पसंख्यकों में एक असुरक्षा और भेदभाव की भावना है”। इसी भावना को मिटाने के लिए अल्पसंख्यक आयोग का जन्म हुआ। 1992 में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग कानून आया, जिसके प्रावधानों के तहत ही 1993 की अधिसूचना आई।

आयोग का मुख्य उद्देश्य है अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों का संरक्षण करना, उनके हालात का समय समय पर जायजा लेना, उनके विकास के लिए सरकार को सुझाव देना, उनकी शिकायतें सुनना और उनका निवारण करना। अब साक्षी महाराज के इस बयान के बाद प्रतिक्रियाएं तय हैं। बात निकली है, तो आवाज दूर तलक जाएगी