पिंपरी चुनावी हिंसा मामले की नए सिरे से जांच के आदेश

नेशनल एससी कमीशन ने दिया आदेश
पिंपरी : समाचार ऑनलाइन – विधानसभा चुनाव के दौरान मतदान के दिन पिंपरी चिंचवड़ के पिंपरी कैम्प में हुई चुनावी हिंसा के मामले में नए सिरे से जांच करने के आदेश नेशनल एससी कमीशन ने दिए हैं। इसकी जांच पिछड़े वर्ग के एसपी से ऊपर के स्तर के अधिकारी को सौंपने और इस पूरे मामले में पिंपरी चिंचवड पुलिस की डीसीपी स्मिता पाटिल, एसीपी राम जाधव और पिंपरी पुलिस थाने के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक (एसपीआई) शंकर बाबर का पुणे जिले से बाहर ट्रांसफर करने के आदेश भी नेशनल एससी कमीशन के सदस्य स्वराज विद्वान ने दिये हैं।
क्या है मामला
विधानसभा चुनाव के मतदान के दिन पिंपरी कैम्प में बोगस वोटिंग के मुद्दे पर शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई थी। इसमें शिवसेना के कार्यकर्ता अनिल पारचा और भाजपा उत्तर भारतीय मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष धर्मेंद्र सोनकर, जोकि खुद नेशनल एससी कमीशन के महाराष्ट्र राज्य इकाई के समन्यवक रह चुके हैं, के अंगरक्षक अभिनव सिंह पर जानलेवा हमला किये जाने से वे गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इस मामले में दोनों पक्षों की ओर से परस्पर विरोधी शिकायत दर्ज कराई गई। इसके अनुसार पिंपरी पुलिस ने दोनों तरफ के लोगों के खिलाफ धारा 307 समेत अन्य धाराओं के तहत मामले दर्ज कर सोनकर और राष्ट्रवादी के वरिष्ठ नगरसेवक एवं भूतपूर्व उपमहापौर हीरानंद उर्फ  आसवानी समेत कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया। फिलहाल में दोनों तरफ के लोग जिला सत्र न्यायालय से मिली जमानत पर बाहर हैं।
क्या है शिकायत
सोनकर ने नेशनल एससी कमीशन को इस बारे में शिकायत की कि, पुलिस ने राजनीतिक दबाव में आकर उनके खिलाफ़ गलत मामला दर्ज कर कार्रवाई की है। विरोधी पक्ष से हमारे लोगों पर जानलेवा हमला किया गया, उसमें दो लोग मौत के मुंह से वापस आए हैं। सोनकर ने यह भी कहा है कि, वे उस दिन मौके पर झगड़ा सुलझाने गए थे, न कि कोई झगड़ा करने। पुलिस ने बयान देने के बहाने बुलाकर धोखे से उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उनके खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज कराई गई कि उन्होंने आसवानी व अन्यों को पिस्तौल से धमकाया। जबकि खुद पुलिस का कहना है कि पिस्तौल उनकी गाड़ी में मिले है। चुनावी आचार संहिता के दौरान उन्हें लाइसेंसी असलहे जमा कराने चाहिए थे, ऐसा पुलिस का कहना है। इस पर सोनकर ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि, उनकी जान को खतरा है, खुद एससी कमीशन ने 7 अगस्त को उन्हें पुलिस सुरक्षा मुहैया कराने के आदेश दिए हैं। इसके बावजूद उन्हें सुरक्षा मुहैया नहीं कराई गई, नतीजन आत्मरक्षा के लिए उन्होंने पिस्तौल जमा नहीं कराई।
क्या है एससी कमीशन का आदेश 
सोनकर की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए नेशनल एससी कमीशन ने पुलिस और जिला प्रशासन से जवाब मांगा था। पुलिस द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट में कई खामियां निकली हैं। शिकायतकर्ता द्वारा की गई शिकायत और प्रमाण से साफ जाहिर होता है कि, पुलिस की रिपोर्ट वास्तविकता से परे है। इसके चलते एससी कमीशन ने इस पूरे मामले की नए सिरे से जांच करने और जांच की कमान पिछड़े वर्ग के एसपी से ऊपरी स्तर के अधिकारी को सौंपने के आदेश कमीशन के सदस्य डॉ स्वराज विद्वान ने दिए हैं। इसके अलावा धर्मेंद्र सोनकर और अन्य लोगों के खिलाफ धारा 307 के तहत दर्ज किए गए गलत मामले को हटाने और इस मामले से जुड़ी डीसीपी स्मिता पाटिल, एसीपी राम जाधव व पिंपरी थाने के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक शंकर बाबर को जिले से बाहर ट्रांसफर करने के आदेश भी दिए हैं। कमीशन का कहना है कि ये अधिकारी नए सिरे से होनेवाली जांच को प्रभावित कर सकते हैं या सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं। सोनकर व अन्य पीड़ितों को समुचित सुरक्षा मुहैया कराने, उन पर हमला करने और झूठे मामले दर्ज करनेवालों के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार करने के आदेश भी दिए हैं। यही नहीं इस पूरे मामले की ‘एक्शन टेकेन रिपोर्ट’ 15 दिनों के भीतर पेश करने के आदेश भी कमीशन द्वारा दिए गए। इस मामले की अगली सुनवाई नौ जनवरी 2020 को होने जा रही है।