भारत में इन पांच जगहों पर लोग पूजते है ‘रावण’ को, नहीं करते है रावण दहन

नई दिल्ली : समाचार ऑनलाइन – पुरे देश में असत्य पर सत्य की जीत का पर्व विजया दशमी बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार यह त्यौहार यानि की दशहरा 8 अक्टूबर को मनाया जाने वाला है। नवरात्रि के नौ दिन पूरे होने के बाद दशमी तिथि को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने लंकाधिपति दशानन का वध कर सीता को छुड़ाया था। इसी ख़ुशी के मौके पर रावण दहन करते है। हालांकि हमारे देश में कई ऐसे जगह है जहां रावण को पूजा जाता है।

रावण को मानाने वाले लोग उनके विद्वान की प्रशंशा करते है। रावण शिव जी का बहुत बड़ा भक्त था। उसके विद्वानता के कारण भारत में कई जगह पर उसके मंदिर हैं। जिन जगहों पर रावण का मंदिर है वहां के लोग उसे भगवान मानते हैं।

लंकेश्वर महोत्सव – कर्नाटक राज्य के कोलार में लंकेश्वर महोत्सव के दौरान रावण की पूजा के साथ जुलूस भी निकाला जाता है। इस जुलूस में रावण के साथ भगवान शिव जी की मूर्ति को घुमाया जाता है। भगवान शिव का परम भक्त होने के कारण कोलार में रावण की पूजा की जाती है।

विदिशा मध्य प्रदेश – विदिशा रावण की पत्नी मंदोदरी का जन्म स्थान है। यहां पर रावण की 10 फीट लंबी प्रतिमा है। विदिशा में दशहरे की दिन लोग रावण की पूजा करते हैं। इसके अलावा शादी-विवाह या किसी अन्य शुभ अवसर पर लोग इस मूर्ति की पूजा कर आशीर्वाद लेते हैं।

बैजनाथ कस्बा – पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बैजनाथ कस्बा में रावण ने भगवान शंकर की कठोर तपस्या की थी। यहां पर रावण की पूजा की जाती है। हिमाचल प्रदेश के इस जगह पर रावण का कोई पुतला भी नहीं जलाया जाता है।

मंदसौर – मध्य प्रदेश के मंदसौर में बना मंदिर रावण का पहला मंदिर है। यहां पर रावण की रुण्डी नाम की विशाल मूर्ति है जिसकी पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रावण को मंदसौर का दामाद माना जाता है।

दशानन मंदिर – कानपुर के शिवाला क्षेत्र में मौजूद दशानन मंदिर साल में सिर्फ एक बार दशहरा के दिन खुलता है। दशहरा के दिन इस मंदिर में रावण की मूर्ति का श्रंगार कर आरती की जाती है। इस मंदिर में सिर्फ दशहरा वाले दिन ही पूजा करने की अनुमति होती है। मान्यता है कि इस मंदिर में तेल के दिए जलाने पर सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।  visit : punesamachar.com