सियासी रंजिश में हुए हमले को पुलिस ने दिया अलग मोड़

पिंपरी। सँवाददाता – गत साल 7 जून को पिंपरी चिंचवड़ मनपा के तत्कालीन विपक्षी दल के नेता एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस के वरिष्ठ नगरसेवक दत्ता साने के चिखली स्थित दफ्तर में घातक हथियारों के साथ घुसे कुछ अराजक तत्वों ने तोड़फोड़ मचाई थी। इस मामले में पुलिस ने कुछ आरोपियों की गिरफ्तारी भी की, जिसमें से मुख्य आरोपी छोड़ अन्य सभी आरोपी जेल से बाहर आ गए हैं। शुक्रवार को साने ने एक सँवाददाता सम्मेलन में यह आरोप लगाकर खलबली मचा दी कि, इस हमले के पीछे तत्कालीन सत्तादल भाजपा के विधायक और उनके सियासी दुश्मन का हाथ है। सियासी रंजिश में किये गए इस हमले को पुलिस ने अलग मोड़ दे दिया है।
दत्ता साने ने यह भी कहा कि, यह हमला उनके दफ्तर पर नहीं बल्कि उनपर नियोजित था। हमले से 10 मिनट पहले ही वे मनपा मुख्यालय स्थित अपने दफ्तर चले गए थे। अगर वे वहां होते तो वे आज यहां संवाददाता सम्मेलन में न होते। उन्होंने आरोप लगाया है कि इस हमले के पीछे भाजपा विधायक महेश लांडगे और पांडुरंग बालासाहेब साने का हाथ है। तब गृह विभाग तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के मातहत में रहने से पुलिस ने जांच को अलग दिशा में मोड़ दिया। मुख्य सूत्रधारों की गिरफ्तारी, सभी आरोपियों की नार्को टेस्ट और इस मामले की जांच सीबीआई के द्वारा कराने की मांग को लेकर साने 2 मार्च से बेमियादी अनशन शुरू करने जा रहे हैं।
एक सँवाददाता सम्मेलन में इसकी जानकारी देते हुए दत्ता साने ने बताया कि, 7 जून 2019 की दोपहर साढ़े चार बजे के करीब छह से सात लोगों ने चिखली साने चौक स्थित उनके जनसंपर्क कार्यालय पर हमला किया। इस मामले में पुलिस ने कुछ लोगों की गिरफ्तारी की है। इस हमले में कुख्यात रावण गैंग शामिल रहने की बात सामने आई है। मुख्य आरोपी छोड़ अन्य सभी आरोपी जेल से बाहर आ गए हैं। यह हमला सियासी रंजिश के चलते किया गया है। पांडुरंग साने ने उनकी हत्या की सुपारी रावण गैंग को दी है। वह रावण गैंग के दिनेश रेणवा का करीबी दोस्त है।मगर पुलिस ने सियासी दबाव में आकर और आर्थिक लेनदेन में इसकी जांच को अलग मोड़ दिया।
उन्होंने यह भी कहा कि विपक्षी दल के नेता के।कार्यकाल में उन्होंने सत्तादल भाजपा के कई भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर किया। इसमें भोसरी के विधायक महेश लांडगे के कई मामले शामिल हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में मैं चुनाव लड़ने के लिए इच्छुक था। इसके चलते मेरा सियासी करियर खत्म करने की कोशिश की गई। तत्कालीन पुलिस आयुक्त आरके पद्मनाभन को उन्होंने इस हमले के प्रमाण भी दिए हैं। मगर तब तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, गृह मंत्रालय भी जिनके अधीन था, के दबाव में आकर इस मामले की जांच को अलग दिशा दी गई। बहरहाल दत्ता साने के इन आरोपों से पिंपरी चिंचवड़ शहर के सियासी गलियारों में खलबली मच गई है।