पीसीएनडीटीए को पीएमआरडीए में विलीन करने के फैसले पर मचा सियासी बवाल

पीएमआरडीए की बजाय पीसीएमसी में विलीनीकरण की मांग ने पकड़ा जोर
पिंपरी। बीते दिन राज्य सरकार की मंत्रिमंडल की बैठक में पिंपरी चिंचवड नवनगर विकास प्राधिकरण (पीसीएनटीडीए) को पुणे महानगर प्रदेश विकास प्राधिकरण (पीएमआरडीए) में विलीन करने का अहम निर्णय राज्य सरकार ने लिया है। जहां इन फैसले से पीसीएनटीडीए की लोकल बॉडी में नियुक्ति की बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहे महाविकास आघाडी के घटक दलों में निराशाजनक शांति छा गई है। वहीं राज्य में विपक्षी और पिंपरी चिंचवड़ मनपा में सत्तादल रहे भाजपा के खेमे से इस फैसले का पुरजोर विरोध शुरू हो गया है।
महाविकास आघाडी के प्रमुख घटक दल राष्ट्रवादी कांग्रेस की ओर से केवल भोसरी विधानसभा क्षेत्र के भूतपूर्व विधायक विलास लांडे ने विलीनीकरण के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस फैसले को उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की दूरदर्शिता और पिंपरी चिंचवड़ के विकास को गति देनेवाला फैसला बताकर विलीनीकरण के फैसले की अमलबाजी में कुछ सुझाव भी दिये हैं। वहीं मनपा के सत्तादल भाजपा के खेमे से इस फैसले का पुरजोर विरोध किया जा रहा है। पीएमआरडीए की बजाय पीसीएमसी यानी पिंपरी चिंचवड़ मनपा में विलीन करने की मांग जोर पकड़ रही है।
भाजपा के शहराध्यक्ष एवं विधायक महेश लांडगे ने इस फैसले का पुनर्विचार करने की मांग की है। वहीं भाजपा के भूतपूर्व शहराध्यक्ष एवं वरिष्ठ विधायक लक्ष्मण जगताप ने इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करने की चेतावनी दी है। वहीं सत्तादल की ओर से आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में महापौर ऊषा ढोरे, उपमहापौर हीराबाई घुले और सभागृह नेता नामदेव ढाके ने इस फैसले को पिंपरी चिंचवड़ शहर की पहचान मिटाने वाला फैसला बताकर आरोप लगाया कि, पीसीएनडीटीए के लिए शहर के भूमिपुत्रों की अधिग्रहित की गई जमीनों को बिल्डरों और उद्योगपतियों की झोली में डालने की साजिश रची गई है। बढ़ती आबादी, औद्योगिकीकरण, विस्तार और स्मार्ट सिटी की दिशा में जारी सफर के मद्देनजर शहर के उचित नियोजन व विकास के लिए पीसीएनडीटीए को पिंपरी चिंचवड़ मनपा में विलीन करने की मांग की गई है। इस संवाददाता सम्मेलन में स्थायी समिटी अध्यक्ष एड. नितिन लांडगे, नगरसेवक शशिकांत कदम, अंबरनाथ कांबले, उत्तम केंदले, नगरसेविका निर्मला गायकवाड, नीता पाडालेे आदि उपस्थित थे।