संघ के कार्यक्रम में बोले प्रणब; आप लोग शांति और सौहार्द के लिए काम करें

नागपुरः राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के दीक्षांत समारोह में शिरकत करने नागपुर पहुंचे पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपने बहुप्रतिक्षित भाषण की शुरुआत देशभक्ति के साथ की। मुखर्जी ने कहा कि वे यहाँ देशभक्ति पर बोलने आये हैं। उन्होंने कहा, मैं आज यहां राष्ट्र और राष्ट्रवाद पर अपनी समझ आपको बताने आया हूँ। उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रवाद किसी धर्म या भाषा में नहीं बंटा है। मुखर्जी ने अपने भाषण में तिलक, टैगोर, महात्मा गांधी लेकर जवाहरलाल नेहरू सहित कई विद्वानों को शामिल करते हुए राष्ट्रवाद और देश पर अपनी राय रखी।

संघ के कार्यक्रम में मौजूद स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि आप लोग अनुशासित और ट्रेंड है, शांति और सौहार्द के लिए काम कीजिए। मुखर्जी ने कह, “धर्म और असहिष्णुता के माध्यम से भारत को परिभाषित करना इसे कमजोर करेगा। धर्म, मतभेद और असिहष्णुता से भारत को परिभाषित करने का हर प्रयास देश को कमजोर बनाएगा। असहिष्णुता भारतीय पहचान को कमजोर बनाएगी। राष्ट्रीय पहचान और भारतीय राष्ट्रवाद सार्वभौमिकता और सह-अस्तित्व से पैदा हुआ है”। इससे पहले गुरुवार शाम 5 बजे मुखर्जी संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार के स्मृति स्थल पर पहुंचे। इस दौरान सरसंघचालक मोहन भागवत ने पूर्व राष्ट्रपति को फूलों का बुके भेंट कर स्वागत किया। इसके बाद पूर्व राष्ट्रपति ने हेडगेवार को श्रद्धाजंलि अर्पित की।

प्रणब मुखर्जी ने कहा कि हम सहमत हो सकते हैं, असहमत हो सकते हैं, लेकिन हम वैचारिक विविधता को दबा नहीं सकते। 50 सालों से ज़्यादा के सार्वजनिक जीवन बीताने के बाद मैं कह रहा हूं कि बहुलतावाद, सहिष्णुता, मिलीजुली संस्कृति, बहुभाषिकता ही हमारे देश की आत्मा है। उन्होंने कहा, ”भारत की राष्ट्रीयता एक भाषा और एक धर्म में नहीं है। हम वसुधैव कुटुंबकम में भरोसा करने वाले लोग हैं। भारत के लोग 122 से ज़्यादा भाषा और 1600 से ज़्यादा बोलियां बोलते हैं। यहां सात बड़े धर्म के अनुयायी हैं और सभी एक व्यवस्था, एक झंडा और एक भारतीय पहचान के तले रहते हैं।”

गौरतलब है कि प्रणव मुखर्जी के संघ के कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया था। कांग्रेस के कई नेताओं ने मुखर्जी को संघ के कार्यक्रम में शामिल नहीं होने का सुझाव दिया था। मुखर्जी की बेटी और कांग्रेस नेत्री शर्मिष्ठा मुखर्जी ने भी उनसे इस कार्यक्रम से दूर रहने की अपील की थी। इन सबके बावजूद मुखर्जी कार्यक्रम में शामिल हुए और देशभक्ति पर एक लंबा व्याख्यान दिया।