प्रसाद ने लोकसभा से तीन तलाक विधेयक पारित करने का आग्रह किया

नई दिल्ली, 27 दिसम्बर (आईएएनएस)- केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में गुरुवार को तीन तलाक विधेयक को पारित करने की जोरदार अपील की और कहा कि इसे राजनीति के परिप्रेक्ष्य से नहीं देखा जाना चाहिए क्योंकि इसका उद्देश्य मुस्लिम महिलाओं को सशक्त बनाना है, लेकिन विपक्षी इस बात पर अड़े रहे कि इसे संयुक्त प्रवर समिति के पास भेजा जाना चाहिए। मुस्लिम महिला (विवाह के अधिकारों पर संरक्षण) 2018 विधेयक को पारित कराने के लिए सदन के पटल पर रखते हुए और इसके संबंध में उठाई गई आपत्ति को खारिज करते हुए प्रसाद ने कहा कि तत्काल तीन तलाक के मामलों को अवश्य ही रोका जाना चाहिए और इसके लिए एक कानून की जरूरत है।

विधेयक को पारित कराने के पक्ष में केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि विधेयक किसी समुदाय, धर्म, आस्था के विरुद्ध नहीं है, बल्कि यह महिलाओं के लिए न्याय सुनिश्चित करेगा।

उन्होंने कहा, “जनवरी 2018 से 10 दिसम्बर के बीच, हमारे सामने तीन तलाक के करीब 477 मामले आए। यहां तक कि कल (बुधवार) को भी इस तरह का एक मामला हैदराबाद से हमारे सामने आया। इन्हीं वजहों से हम अध्यादेश लाए थे।”

यह बताते हुए कि 20 इस्लामी राष्ट्रों ने तीन तलाक पर प्रतिबंध लगा दिया है, मंत्री ने पूछा कि भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में ऐसा क्यों नहीं हुआ?

उन्होंने सदन को सर्वसम्मति से विधेयक पारित करने का आग्रह करते हुए कहा, “मैं आग्रह करता हूं कि इसे राजनीतिक परिप्रेक्ष्य से नहीं देखा जाए। इस सदन ने दुष्कर्मियों के लिए फांसी का प्रावधान दिया है। इसी सदन ने दहेज और महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए घरेलू हिंसा के खिलाफ विधेयक पारित किया है। इसलिए, हम क्यों नहीं इस विधेयक का एकस्वर में समर्थन कर सकते।”

प्रसाद ने कहा कि सरकार इसके लिए ‘खुले दिमाग’ से काम कर रही है और इसमें किसी भी प्रकार का पक्षपात नहीं किया गया है। इसके अलावा नए विधेयक के अंतर्गत पहले उठाई गई कई चिंताओं को शामिल किया गया है।

उन्होंने कहा कि विधेयक का राजनीतिक कारणों से विरोध नहीं किया जाना चाहिए।

प्रसाद ने कहा, “इसे राजनीति के नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि मानवता के नजरिये से देखा जाना चाहिए। अगर कोई ठोस सुझाव है तो सरकार इस पर विचार करेगी।”

लोकसभा में पिछले वर्ष दिसंबर में यह विधेयक पारित हो गया था लेकिन राज्यसभा में यह पारित नहीं हो सका था। कुछ बदलावों के साथ नए विधेयक को इस महीने सदन में हंगामे के बीच पेश किया गया था।

इससे पहले विपक्षी सदस्यों ने विधेयक को लाए जाने का विरोध किया और इसे संयुक्त प्रवर समिति के पास भेजे जाने की मांग की।

नया विधेयक सितंबर में लाए गए अध्यादेश के स्थान पर लाया गया है, जिसके अंतर्गत मुस्लिम महिलाओं को उनके पति द्वारा तीन ‘तलाक’ बोलकर तलाक देने पर पाबंदी लगाई गई है। इसके अंतर्गत तत्काल तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाया गया है, जिसके तहत जुर्माने के साथ तीन वर्ष की सजा का प्रावधान है। यह अपराध तब सं™ोय होगा जब विवाहित मुस्लिम महिला या फिर उसका करीबी रिश्तेदार उस व्यक्ति के खिलाफ सूचना देगा, जिसने तत्काल तीन तलाक दिया है।

इससे पहले कांग्रेस के नेता मल्लिकाजुर्न खड़गे, तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय, अन्नाद्रमुक के पी. वेणुगोपाल, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, रांकपा की सुप्रिया सुले, आरएसपी के एन.के. प्रेमचंद और आप के भगवंत मान ने विधेयक पारित करने का विरोध किया और कहा कि इसे संयुक्त प्रवर समिति के पास भेजा जाना चाहिए।

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “यह महत्वपूर्ण विधेयक है और विस्तृत अध्ययन किए जाने की जरूरत है। यह एक संवैधानिक मामला है। यह एक खास धर्म से संबंधित भी है। मैं आग्रह करता हूं कि इस विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजा जाए।”

प्रसाद ने विपक्ष के विरोध को खारिज कर दिया और कहा कि कांग्रेस ने पिछले वर्ष तीन तलाक विधेयक का समर्थन किया था।

रविशंकर प्रसाद ने कहा, “जब सदन में इससे पहले विधेयक को लाया गया था, कांग्रेस के सदस्यों ने इसका समर्थन किया था और इसके पक्ष में वोट दिया था। उस समय उन्होंने इसे प्रवर समिति के पास भेजे जाने की मांग नहीं की थी।”

प्रेमचंद ने मजबूती के साथ विधेयक का विरोध किया और कहा कि यह संविधान के मूल सिद्धांतों के विरुद्ध है।

उन्होंने कहा, “विधेयक को जल्दबाजी में लाया गया है। यह राजनीति से प्रेरित है और 2019 लोकसभा चुनावों को देखते हुए इसे लाया गया है।”