पं. बिरजू महाराज के कत्थक नृत्य दर्शकों ने जमकर सराहा

प्रसिद्ध गायिका डॉ. प्रभा अत्रे के गीतों के साथ सवाई गंधर्व भीमसेन महोत्सव का समापन हुआ
पुणे : समाचार ऑनलाइन : वरिष्ठ कत्थक पं. बिरजू महाराज के लालित्यपूर्ण नृत्य को सवाई गंधर्व महोत्सव के आखिरी दिन दर्शकों का भरपूर रिस्पांस मिला। प्रथा के अनुसार किराना घराना की प्रसिद्ध गायिका डॉ. प्रभा अत्रे के मंत्रमुग्ध करने वाले गीतों ने महोत्सव में नई मिठास भर दी।

पं. बिरजू महाराज द्वारा राज दरबार में प्रस्तुत किए जाने वाले कत्थक नृत्य ने बैठक का भाव पेश किया। बिरजू महाराज की वरिष्ठ शिष्या शाश्वती सेन और बिरजू महाराज की पोती रागिनी महाराज ने इस दौरान बिरजू महाराज की कई नृत्य रचनाएं पेश की और कत्थक नृत्य की विभिन्न तालबद्ध रचना पर परफार्म किया। उनका अनिर्बान भट्टाचार्य (हार्मोनियम व गायनसाथ), गायत्री जोशी (सितार), विश्वजीत पाल (तबला), अजरुद्दीन शेख (बांसुरी) ने साथ दिया। इस दौरान आर्य संगीत प्रसारक मंडल के कार्याध्यक्ष श्रीनिवास जोशी के हाथों पं. बिरजू महाराज की विशेष स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया।

इससे पहले पं। देबू चौधरी के पुत्र व शिष्य प्रतीक चौधरी का सितार वादन हुआ। उन्होंने राग मारवा अपनी शैली में पेश किया। उनके द्वारा सितार पर पेश किए गए सवा पांच मात्रा के हनुमंत ताल का श्रोताओं की जोरदार तालियों से स्वागत किया गया। उनको उस्ताद रफीउद्दील साबरी (तबला) और वैशाली कुबेर (तानपुरा) का साथ मिला।

सवाई गंधर्व भीमसेन महोत्सव की प्रथा के अनुसार किराना घराना की प्रसिद्ध गायिका डॉ. प्रभा अत्रे के गीतों के साथ पांच दिनों के संगीत महोत्सव का समापन हुआ। उन्होंने राग जय जयवंती पेश किया। उनका माधव मोडक (तबला), सुयोग कुंडलकर (हार्मोनियम), डॉ। अतींद्र सरवड़ीकर (स्वरमंडल), अश्विनी मोडक, आरती ठाकुर व चेतना बनावत (तानपुरा व गायनसाथ) ने साथ दिया।