Pune-Pimpri | इससे पहले ही कई मामलों में ली थी रिश्वत ; पिंपरी मनपा के स्थाई के अध्यक्ष नितिन लांडगे के PA की केबिन में मिली बेहिसाब 8. 5 लाख , ऐड. लांडगे, पिंगले के घरों की सुबह तक चल रही थी तलाशी 

 

पुणे, 19 अगस्त : Pune-Pimpri | पिंपरी-चिंचवड़ मनपा के स्थाई समिति अध्यक्ष सहित पांच लोगों को एंटी क्रप्शन ब्यूरो (Anti Corruption Bureau) ने बुधवार को जाल बिछाकर रिश्वत (bribe) लेते पकड़ लिया।  इस दौरान स्थाई समिति के अध्यक्ष नितिन लांडगे (Nitin Landge) के पीए की तलाशी ली गई।  इस दौरान उसके पास से साढ़े आठ लाख रुपए की बेहिसाब रकम मिली। (Pune-Pimpri) ये भी जान ले कि 1 लाख 18 हज़ार रुपए की रिश्वत इससे पहले ही इसी तरह से कई लोगों दवारा बुधवार को  स्वीकार किये जाने की जानकारी सामने आई है।  राजनीतिक क्षेत्र में पिछले कई वर्षों में की गई कार्रवाई में यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है।

एसीबी द्वारा जाल बिछाकर कार्रवाई किये जाने के बाद स्थाई समिति अध्यक्ष ऐड. लांडगे और उनके पीए ज्ञानेश्वर पिंगले के घरों की भी तलाशी ली गई है।  यह कार्रवाई गुरुवार की सुबह तक चल रही थी।
स्थाई समिति अध्यक्ष ऐड. नितिन ज्ञानेश्वर लांडगे, चीफ क्लर्क व स्थाई समिति के अध्यक्ष के पीए ज्ञानेश्वर किसनराव पिंगले, क्लर्क विजय शंभुलाल चावरिया, कॉम्पुटर ऑपरेटर राजेंद्र जयवंतराव शिंदे, प्यून अरविंद भीमराव कांबले ऐसे पांच लोगों को रिश्वत लेने के मामले में  एसीबी ने गिरफ्तार किया है।  सभी को आज कोर्ट में पेश किया जाएगा।
इस मामले में एसीबी से की गई शिकायत के बाद काफी गोपनीयता बरती गई थी।  थोड़ा भी संदेह होने पर इस कार्रवाई के असफल होने का खतरा था।  इसलिए पुलिस सुप्रीटेंडेंट राजेश बनसोडे, अपर पुलिस सुप्रीटेंडेंट सूरज गुरव, अपर पुलिस सुप्रीटेंडेंट सुहास नाडगौड़ा के मार्गदर्शन में जाल बिछाकर कार्रवाई कैसे की जानी है ? इसकी योजना बनाई गई।  डिप्टी पुलिस सुप्रीटेंडेंट सीमा मेहेंदले, श्रीहरि पाटिल, पुलिस इंस्पेक्टर गिरीश सोनवणे, पुलिस हवलदार सरिता वेताल, अश्यापक इनामदार, अंकुश माने, पुलिस अंमलदार अविनाश इंगुळकर, चंद्रकांत कदम ने प्रत्यक्ष रूप से इस कार्रवाई को सफल बनाया।
मनपा की जगह पर होर्डिंग लगाने के लिए 28 टेंडर मंजूर किये गए है।  लेकिन इसका वर्क ऑर्डर जारी नहीं  होने की वजह से शिकायतकर्ता ने स्थाई समिति अध्यक्ष नितिन लांडगे  और उनके पीए ज्ञानेश्वर पिंगले से मिले थे।  वर्क ऑर्डर पाने के लिए 28 टेंडर की बोली रकम का 3% रकम 10 लाख रुपए रिश्वत के रूप में मांगा  गया था ।  समझौते के बाद 6 लाख रुपए में डील पक्की हुई।  इसके बाद 6 करारनामा की फाइल पर सिग्नेचर और मुहर के लिए क्लर्क विजय चावरिया, कंप्यूटर ऑपरेटर राजेंद्र शिंदे व पियून अरविंद कांबले के जरिये 1 लाख 18 हज़ार रुपए की रिश्वत ली थी ।  सीमा मेहेंदले मामले की जांच कर रही है।