यलगार परिषद मामले की जांच के लिए अलग एसीपी

पुणे। समाचार ऑनलाइन

भीमा कोरेगांव की हिंसा के लिए जिम्मेदार मानी जा रही यलगार परिषद के आयोजन में माओवादियों का कनेक्शन सामने आया है। इस मामले में पहले पांच गिरफ्तारियों के बाद हालिया देशभर से और पांच गिरफ्तारियां की गई है। इस पर काफी बवाल मचा हुआ है, देशभर से पुणे पुलिस पर उंगलि उठ रही है। हांलाकि पुलिस का दावा है कि उसके पास सभी के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं। बहरहाल इस मामले की जांच की व्याप्ति को ध्यान में रख इसके लिये अलग एसीपी नियुक्त किया गया।

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इस पूरे मामले की जांच के साथ ही हालिया हुई गिरफ्तारियों के विरोध में सर्वोच्च न्यायालय तक दायर की गई याचिकाओं की सुनवाई में पेशी आदि के लिए फुल टाइम अधिकारी की जरूरत है। इसे ध्यान में लेकर पुणे पुलिस ने इस मामले की जांच में जुटे एसीपी शिवाजी पवार को स्वारगेट विभाग की जिम्मेदारी से आजाद करने का फैसला किया है। उनकी जगह विशेष शाखा के एसीपी रविंद्र रसाल को स्वारगेट विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। अब एसीपी पवार पर विश्रामबाग पुलिस थाना में दर्ज यलगार परिषद मामले की जांच की जिम्मेदारी है।

गौरतलब है कि पुणे के भीमा कोरेगांव युद्ध के 200 साल पूरा होने के मौके पर शनिवारवाड़ा पर यलगार परिषद का आयोजन किया गया था। इसके ठीक दूसरे दिन दलित समुदाय के करीब पांच लाख लोग शौर्य दिवस मनाने के लिए भीमा कोरेगांव पहुंचे थे। इस दौरान दो गुटों में झड़प के बाद एक युवक की मौत हो गई थी। इसेक बाद राज्य के करीब 18 जिले हिंसा की चपेट में आ गए थे। जमकर तोड़फोड़ और आगजनी की गई थी। इस दौरान मुंबई और कल्याण से कई माओवादी कार्यकर्ता पकड़े गए थे। पुणे जिला (ग्रामीण) पुलिस ने इस हिंसा को लेकर संभाजी भिड़े और मिलिंद एकबोटे आदि के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा के लिए पुणे के शनिवारवाड़ा पर आयोजित यलगार परिषद जिम्मेदार रहने और इसके आयोजन में माओवादियों का पैसा लगा था। यही नहीं माओवादियों ने स्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रची थी। यह दावा करते हुए पुणे शहर पुलिस ने सुरेंद्र गडलिंग, रोना विल्सन, शोमा सेन, महेश राऊत और सुधीर ढवले को गिरफ्तार किया है। इसके बाद हाल ही में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की प्रोफेसर सुधा भारद्वाज, वामपंथी विचारक वरवर राव, वकील अरुण फरेरा, मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा और वरनॉन गोंजाल्विस को भी गिरफ्तार किया गया। ये गिरफ्तारियां काफी विवादों में घिरी है, देशभर से पुणे पुलिस पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। इस मामले की जांच और अदालती कार्यवाही के लिए अलग एसीपी नियुक्त करने का फैसला किया गया है।

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