पुणे पुलिस ने ईरानी महिला से की बदसलूकी

विदेशी पंजीकरण कार्यालय (एफआरओ) में 34 वर्षीय महिला से बदसलूकी का आरोप

पुणे।
पुणे शहर पुलिस के विदेशी पंजीकरण कार्यालय (एफआरओ) में एक 34 वर्षीय ईरानी महिला के साथ कथित तौर पर बदसलूकी का मामला सामने आया है। महिला का आरोप है कि महिला पुलिसकर्मियों ने एफआरओ में उसके साथ बुरी तरह से मारपीट की। महिला के मुताबिक उसकी वीजा अवधि समाप्त हो गयी है और वह अपने देश वापस जाने के लिए एग्जिट परमिट चाहती है, जिसके लिए वह पिछले एक महीने से एफआरओ के चक्कर काट रही है। इसी सिलसिले में वह गुरुवार को अपने एक भारतीय पुरुष मित्र के साथ फिर से एफआरओ गई और एसीपी (स्पेशल ब्रांच 2) प्रिती तिप्रे से मुलाकात की। जहां उसे अपने रेंट एग्रीमेन्ट सहित अतिरिक्त दस्तावेज देने के लिए कहा गया। महिला ने कहा, जब मैंने उनसे कहा कि वेबसाइट पर इसका न तो उल्लेख है और न ही उसे इसके बारे में पहले बताया गया, तो एसीपी के केबिन में मौजूद अधिकारी हंसने लगे और मेरा मजाक बनाने लगे। इस पर मैंने अपना फोन निकाला और वीडियो रिकॉर्डिंग शुरू कर दी। तो वह चुप हो गए। मैं रिकॉर्डिंग कर ही रही थी कि एक महिला अधिकारी ने मेरे दोस्त को बाहर जाने के लिए कहा। उसने मुझे भी धक्का दिया और मेरा फोन छीनने की कोशिश की। लगभग 8 से 10 महिला पुलिसकर्मियों ने मुझे कमरे के अंदर खींचा और मुझे घुसे जड़े। उन्होंने मेरा सिर टीवी और दीवार पर दे मारा। एक अधिकारी के वहां आते ही उन्होंने मुझे मरना बंद किया और मैं मौके का फायदा उठाकर वहां से भाग निकली।

दस्तावेज तैयार करने के लिए कहा गया तो उसने तमाशा किया

वहीं एफआरओ के एक अधिकारी ने कहा कि, “उसका वीजा समाप्त हो गया है और वह अपने दिए पते पर नहीं मिली थी हम उसे खोज रहे थे। गुरुवार को जब उसे आवश्यक दस्तावेज तैयार करने के लिए कहा गया तो उसने तमाशा किया। हम इसके लिए उस पर भारतीय दंड संहिता की धारा 353 के तहत केस दर्ज करेंगे, लेकिन इससे उसे यहां अवैध रूप से कानूनी तौर पर रहने की मंजूरी मिल जाएगी। इसलिए, हम उसे अब निर्वासित करेंगे।” गुरुवार की आधी रात महिला मेडिकल चेकअप के लिए अपने दोस्त के साथ ससून अस्पताल गईं।

फर्ग्यूसन कॉलेज से बीए पूरा किया है

गौरतलब हो कि महिला ने इससे पहले 9 मई को सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय (एसपीपीयू) के कुलपति को चिट्ठी लिखकर हस्तक्षेप मांगा था। लेकिन उसे अब तक कोई जवाब नहीं मिला। उसने वीसी को लिखे ईमेल में लिखा है। “मैं पुणे में लगभग 6 वर्षों से पढ़ रही हूं।मैंने प्रथम श्रेणी के साथ फर्ग्यूसन कॉलेज से बीए पूरा किया है और उच्च औसत के साथ मास्टर्स (एमए मानव विज्ञान से एमए मानव विज्ञान) का अपना पहला वर्ष पूरा किया है। मैंने 2015 में मास्टर्स शुरू किया था। अब छात्र वीज़ा पर भारत में रहने वाले छात्रों लिए पुलिस नियमों के अनुसार, हर किसी को 5 साल की सीमा के बाद वापस लौटना होगा और ईरान से एक नए वीज़ा के साथ वापस आना होगा।

चालान भुगतान की घोषणा

मैंने सेमेस्टर 3 (अगस्त 2016) में बोनाफाइड प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था तब मैं ईरान में थी, लेकिन अगस्त के अंत तक मुझे यह नहीं मिला। मैं सितंबर में वापस आई…आखिरकार नवंबर 2017 से जनवरी 2018 तक केवल 3 महीनों के लिए एक बोनाफाइड प्रमाणपत्र मिला और चालान भुगतान की घोषणा होने तक एक और बोनफाइड के इंतज़ार के लिए कहा गया… मुझे उम्मीद है कि मैं इस विश्वविद्यालय में अपनी पढ़ाई पूरी कर सकती हूं। मैं आपको इस समस्या के माध्यम से अपना मार्गदर्शन करने का अनुरोध करती हूं। क्योंकि मैं वैध होने के बिना देश से बाहर नहीं निकल सकती। यदि आप मुझे एक पत्र दे सकते हैं जिसमें कहा गया हो कि मैं पुणे विश्वविद्यालय छात्र रही हूं, तो मैं इसे पुलिस को दे सकती हूं।