आतंकवाद के नाम पर हुईं गिरफ्तारियों पर उठे सवाल

लखनऊ : समाचार ऑनलाइन –उत्तर प्रदेश के राजनीतिक व सामाजिक संगठन ‘रिहाई मंच’ ने एनआईए द्वारा यूपी और दिल्ली से आतंकवाद के नाम पर की गईं गिरफ्तारियों को चुनावी तैयारी बताया है। संगठन का कहना है कि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा एजेंसियां टेरर लिंक स्थापित करने में लगी हैं। साथ ही संगठन ने कई सवाल भी खड़े किये हैं।
1. जांच एजेंसी जिसे देसी राकेट लांचर बता रही है उसे लोग ट्रैक्टर का हाइड्रोलिक पंप कहते हैं। एनआईए बताए कि उसने किस हथियार विशेषज्ञ से यह ज्ञान प्राप्त किया कि वह राकेट लांचर है। ऐसे में एनआईए द्वारा बम बनाने के तरीक़े बताने वाले वीडियो पर भी सवाल उठ जाता है
2. यूपी-दिल्ली की 17 जगहों पर छापेमारी हुई और 10 को गिरफ्तार किया गया। एनआईए ने इसे बड़ी सफलता बताया। मीडिया के ज़रिए फैलाया गया कि पुलिस और संघ मुख्यालय आतंकियों के निशाने पर थे। इसका जिक्र एनआईए ने  आरोपियों को अदालत में पेश करते वक़्त क्यों नहीं किया?
3. एनआईए आईजी आलोक मित्तल ने सीक्रेट मॉड्यूल से ख़तरनाक हथियारों का ज़ख़ीरा मिलने और आत्मघाती हमले की बात कही। उन्हें बताना चाहिए कि जिन देसी तमंचों और सुतली बम की बरामदगी दिखाई गई, उसका इस्तेमाल क्या आईएस जैसा ख़तरनाक संगठन करेगा?
4. जांच एजेंसी ने आईएस के पोस्टर बरामद करने का दावा किया है। उन कथित पोस्टरों पर किसी संगठन का नाम नहीं है। एकदम नया छपा पोस्टर सच के नज़दीक नहीं दिखते। एजेंसी को कैसे पता चला कि वह आईएस का पोस्टर है? पोस्टर घर में रखने के लिए नहीं होते तो क्या वह पोस्टर कहीं लगाए गए थे? क्या आईएस भी चुनाव में उतरने की तैयारी कर रहा है?
गौरतलब है कि 7 मार्च 2017 को लखनऊ में सैफुल्लाह को मुठभेड़ में मारने के दावे के साथ काले रंग के झंडे की बरामदगी के आधार पर उसके आईएस से जुड़ाव का दावा एटीएस प्रमुख असीम अरुण ने किया था। उनके इस दावे को एडीजी लाॅ एण्ड आर्डर दलजीत चौधरी ने नकार दिया था।
5. अमरोहा के सैदपुर इम्मा के रहने वाले सईद और रईस के चाचा ने मीडिया को बताया कि सफेद गाड़ी आई और उसने घर का गेट बंद कर दिया। गाड़ी से सामान उतारा गया और उनसे ज़बरदस्ती साइन करवाया कि या सामान उनका है। ट्रैक्टर के जैक पाइप को राकेट लांचर, तो लोहे के बुरादे को बारुद बताते हुए कहा जा रहा है कि दोनों ने 25 किलो विस्फोटक खरीदे थे। यहां यह भी सवाल है कि आख़िर एनआईए ने सईद और रईस से जुड़े सारे कागज़ात चारपाई पर रखकर क्यों जला दिए।
6. एनआईए के आईजी आलोक मित्तल ने कहा कि मॉड्यूल की तैयारी के स्तर से लगता है कि निकट भविष्य में इरादा रिमोट कंट्रोल वाले और फिदायीन हमले करने का था। यह आईसी से प्रभावित नया मॉड्यूल है जो विदेशी एजेंट के संपर्क में था। रिमोट कंट्रोल, आत्मघाती जैकेट, रेडिकलाइजेशन, विदेशी आकाओं के इशारे पर संचालित इस माड्यूल की ‘गंभीरता’ और भारत पर बडे़ हमले की योजना जैसे खुलासों की देसी कट्टे की बरामदगी से कैसे पुष्टि की जा सकती है?
7. आईएस से जोड़ने की कोशिश करते हुए हरकत-उल-हर्ब-ए-इस्लाम के संचालन से जुड़े सवाल पर एनआईए ने कहा कि इस माड्यूल के सदस्य खुद पैसे इकट्ठे करते थे। कहने की बात नहीं कि एजेंसी को फंडिग जैसे सवाल को साबित करना मुश्किल होता।