बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा-गोवारी और गोंड गोवारी भिन्न व अलग जातियां 

नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम : गोवारी समुदाय को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अहम फैसला सुनाया। यह मामला आरक्षण का लाभ पाने की मकसद से जुड़ा हुआ था।

बांबे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने 14 अगस्त, 2018 को कहा था कि संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950 में एसटी के रूप में शामिल गोंड गोवारी समुदाय वर्ष 1911 से पहले विलुप्त हो गया था और एसटी के रूप में शामिल करते समय 29 अक्टूबर, 1956 से पहले उसके महाराष्ट्र या मध्य प्रदेश में अस्तित्व का कोई निशान नहीं था। लिहाजा गोवारी समुदाय को एसटी के लाभों से वंचित नहीं किया जा सकता। बांबे हाई कोर्ट के इस फैसले को खारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि वे दो भिन्न और अलग जातियां हैं। हाई कोर्ट द्वारा दिया गया कोई भी कारण मानने योग्य नहीं है कि गोवारी समुदाय गोंड गोवारी के एसटी प्रमाणपत्र को पाने का अधिकारी हैं।

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने संवैधानिक प्रावधानों और हाई कोर्ट के फैसले का विस्तार से अध्ययन करने के बाद अपने फैसले में कहा कि  हाई कोर्ट के फैसले के बाद गोवारी समुदाय के लोगों को प्रवेश और नौकरियों में मिले आरक्षण के लाभों को वापस नहीं लिया जाएगा।

फ्लैशबैंक :   आदिम-गोवारी विकास समाज मंडल, आदिम-गोवारी समाज विकास मंडल, वैशाली राउत ने बांबे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में यह याचिका दायर की थी। इसी तरह आदिवासी गोंड-गोवारी (गोवारी) सेवा मंडल और केशव सोनोने ने हाईकोर्ट में विविध याचिकाएं दायर की थी। जिसमें उन्होंने गोवारी समुदाय को वर्ष 1985 के पहले की तरह अनुसूचित जनजाति प्रवर्ग में शामिल करने की प्रार्थना की थी। याचिकाकर्ता की दलील थी कि 24 अगस्त 1985 तक गोवारी वर्ग के लोगों को गोंड गवारी के तहत जाति प्रमाणपत्र दिया जाता था, लेकिन इसके बाद सरकार ने परिपत्रक जारी किया, जिसमें गोंड और गवारी वर्ग को अलग अलग परिभाषित किया गया। याचिकाकर्ता ने इसी परिपत्रक को चुनौती दी थी। जिसमें उन्होंने गोंड और गवारी वर्ग को वर्ष 1985 के पहले की ही तरह पुनस्थापित किया था। इसी तरह केंद्र सरकार ने 16 जून 2011 को गैजेट नोटिफिकेशन जारी करके महाराष्ट्र के लिए गोवारी वर्ग को ओबीसी में स्थान दिया, लेकिन मामला शीर्ष अदालत तक जा पहुंचा और अब यह व्यवस्था दी गई है।