यह दिवाली ग्रीन पटाखे वाली 

पुणे । समाचार ऑनलाइन – सुप्रीम कोर्ट ने हाल में ही पटाखे को लेकर एक अहम फ़ैसला सुनाया था कि पटाखे जलाने के एक निश्चित समय तय किया गया है जो की रात 8 से 10 बजे के बीच सिर्फ 2 घंटे के लिए ही जलाए जा सकेंगे और  दिवाली या अन्य किसी त्योहार या शुभ मौके पर सिर्फ ग्रीन पटाखे का ही इस्तेमाल होगा।

दिवाली पर पटाखों की बिक्री को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला सुनाया था की पटाखे जलाने पर रोक नहीं है लेकिन जो भी पठाखे जलाये जाए वह पर्यावरण के हित में हो इसलिए उन्होंने अपने फैसले में कहा कि दिवाली पर पटाखे जलाने पर रोक नहीं है। लेकिन पटाखे रात 8 से 10 बजे के बीच सिर्फ 2 घंटे के लिए ही जलाए जा सकेंगे। साथ ही दिवाली या अन्य किसी त्योहार पर सिर्फ ग्रीन पटाखे यानी कम प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों का ही इस्तेमाल किया जाएगा। लेकिन सवाल यह है की ग्रीन पटाखे क्या हैं और ऐसे कौन से पटाखे हैं जिन्हें जलाने से प्रदूषण कम होगा? तो आईये जानते है की ग्रीन पटाखा क्या है।

CSIR ने तैयार किया पटाखों का फॉर्म्यूला 

वैसे तो किसी भी पटाखे को पूरी तरह से प्रदूषण रहित नहीं बनाया जा सकता लेकिन CSIR यानी काउंसिल ऑफ साइंटिफिक ऐंड इंडस्ट्रियल रिसर्च के वैज्ञानिकों ने पटाखों का ऐसा फॉर्म्युला तैयार किया है जिसे ग्रीन पटाखों की कैटिगरी में रखा जा सकता है। इन पटाखों में धूल को सोखने की क्षमता है। साथ ही इन पटाखों से होने वाला उत्सर्जन लेवल भी बेहद कम है। इनमें पटाखों का एक फॉर्म्युला ऐसा भी है जिससे वॉटर मॉलेक्यूल्स यानी पानी के अणु उत्पन्न हो सकते हैं जिससे धूल और खतरनाक तत्वों को कम करने में मदद मिलेगी।

ई-पटाखों का प्रोटोटाइप भी है तैयार 

इसके अलावा ई-कैक्रर यानी इलेक्ट्रॉनिक पटाखों का प्रोटोटाइप भी तैयार है और अगर लोग चाहें तो दिवाली पर ई-पटाखे भी जला सकते हैं। CSIR के NEERI इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किए गए पटाखों के इन फॉर्म्युलों को पेट्रोलियम ऐंड एक्सप्लोसिव्स सेफ्टी ऑर्गनाइजेशन PESO के पास भेजा जा चुका है और एक बार PESO इसे अप्रूव कर दे उसके बाद इन पटाखों का निर्माण तेजी से किया जा सकेगा ताकि दिवाली के मौके पर पटाखों की डिमांड को पूरा किया जा सके।

ग्रीन पटाखों से पलूशन 35% कम 

CSIR के इन ग्रीन पटाखों के जरिए खतरनाक नाइट्रस ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड के साथ ही छोटे-छोटे कणों के उत्सर्जन में भी 30 से 35 प्रतिशत की कमी लायी जा सकेगी। हालांकि इन पटाखों का उत्पादन कब शुरू होगा और ये ग्रीन पटाखे इस बार की दिवाली से पहले आम लोगों को मिल पाएंगे या नहीं कहना मुश्किल है।

पटाखा उत्पादन में दूसरे नंबर पर भारत 

पूरी दुनिया में पटाखों का सबसे बड़ा उत्पादक चीन है और दूसरे नंबर पर भारत जहां के तमिलनाडु के सिवाकाशी को पटाखा उत्पादन का गढ़ माना जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि पटाखे हमारे देश में मुगलों के समय से ही जलाए जा रहे हैं। मुगलों के दौर में आतिशबाजी और पटाखे इस्तेमाल होते थे। वैसे तो गन पाउडर बाद में भारत में आया और इसके बाद पटाखों में गन पाउडर का इस्तेमाल होने लगा।

सेहत के लिए हानिकारक हैं पटाखे 

प्रदूषण फैलाने में पटाखों का रोल बहुत ज़्यादा है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि लोग एक तय समय में बहुत ज्यादा पटाखे फोड़ते हैं। साथ ही पटाखे जलाने वाला व्यक्ति थोड़ी सी जगह में ढेर सारे पटाखे जलाता है जिससे निकलने वाला धुंआ सीधा हमारे शरीर के अंदर जाता है। पटाखों से निकलने वाले धुएं की वजह से अक्यूट अस्थमा का अटैक आ सकता है, निमोनिया के मामले बढ़ सकते हैं, फेफड़ों से संबंधित गंभीर बीमारी हो सकती है, सांस लेने में तकलीफ होने लगती है।