सुप्रीम कोर्ट इसी हफ्ते करेगा आर्टिकल ’35ए’ पर सुनवाई!

– क्या है आर्टिकल ’35ए’ और आर्टिकल ‘370’

नई दिल्ली : समाचार ऑनलाइन – सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 35ए पर इसी हफ्ते सुनवाई होने वाला है। इस पर जम्मू कश्मीर में कोई अप्रिय घटना न घटे इसके लिए जम्मू कश्मीर पुलिस ने वहां के कुछ राजनीतिक नेताओं को हिरासत में लिए है। साथ ही कई संवेदनशील जगहों पर कर्फ्यु लगा दी गयी है। कयास लगाए जा रहे है कि सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद ’35ए’ की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाएं पर इस सप्ताह 26-28 फरवरी से सुनवाई कर सकती है।

जम्मू और कश्मीर द्वारा प्राप्त विशेष अधिकारों और विशेषाधिकारों से संबंधित अनुच्छेद ’35ए’ पर सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई को लेकर संस्पेस कायम था। लेकिन अब स्पष्ट हो गया है कि इस पर सुनवाई इसी हफ्ते होगी। पहले कहा जा रहा था कि इस मामले पर सोमवार को सुनवाई हो सकती है, लेकिन कोर्ट की सुनवाई सूची में इस केस का जिक्र नहीं था। जम्मू-कश्मीर सरकार के वकील ने उच्चतम न्यायालय से अनुच्छेद 35 ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आगामी सुनवाई को स्थगित करने के लिए सभी पक्षों के बीच एक पत्र वितरित करने के लिए अनुमति मांगी थी। उन्होंने कहा कि राज्य में कोई निर्वाचित सरकार नहीं है।

अनुच्छेद ’35ए’ –
– अनुच्छेद ’35ए’ जम्मू-कश्मीर के स्थायी नागरिकों को विशेष शक्तियां प्रदान करता है।
– यह अनुच्छेद अन्य राज्य के व्यक्तियों को वहां अचल संपत्तियों के खरीदने एवं उनका मालिकाना हक प्राप्त करने से रोकता है।
– दूसरे राज्यों का व्यक्ति वहां हमेशा के लिए बस नहीं सकता और न ही राज्य की ओर से मिलने वाली योजनाओं का लाभ उठा सकता है।
– यदि कोई महिला राज्य से बाहर के किसी व्यक्ति से शादी करती है तो उसका संपत्ति का अधिकार छीन जाता है।
– कोई भी बाहरी शख्स राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं ले सकता है और ना राज्य में सरकारी नौकरी पा सकता है।

अनुच्छेद ‘370’ –
– धारा 370 के प्रावधानों के अनुसार संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है, लेकिन किसी अन्य विषय से सम्बन्धित क़ानून को लागू करवाने के लिये केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिये।
– इसी विशेष दर्ज़े के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती।
– इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्ख़ास्त करने का अधिकार नहीं है।
– जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता (भारत और कश्मीर) होती है।
– भारत की संसद जम्मू-कश्मीर के सम्बन्ध में अत्यन्त सीमित क्षेत्र में कानून बना सकती है.
– जम्मू-कश्मीर का राष्ट्रध्वज अलग है. वहां के नागरिकों द्वारा भारत के राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना अनिवार्य नहीं है.