जयंती पर याद किये गए शहीद राजगुरु

पिंपरी। समाचार ऑनलाइन
शहीद भगत सिंह, सुखदेव के साथ फांसी पर हंसते-हंसते झूलने वाले अमर शहीद क्रांतिवीर राजगुरू का आज जन्मदिन है। क्रांतिकारी राजगुरु का जन्म 24 अगस्त 1908 को पुणे जिले के खेड़ तालुका में हुआ था। खेड़ा गांव का नामकरण उनके नाम पर किया गया है जिसे राजगुरुनगर कहा जाता है। आज उनकी जयंती पर राजगुरुनगर में स्कूली बच्चों की रैली निकाली गई। शहीद राजगुरु के स्मारक पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया गया।

[amazon_link asins=’B01N54ZM9W,B072X2BGM5′ template=’ProductCarousel’ store=’policenama100-21′ marketplace=’IN’ link_id=’0bf3c1ea-a795-11e8-b682-43d42251e699′]

राजगुरु का पूरा नाम शिवराम हरि राजगुरू था। उनके पिता का नाम हरि नारायण और माता का नाम पार्वती बाई था। जब राजगुरु छह साल के थे, तभी इनके पिता की मौत हो गयी। इनका पालन-पोषण इनकी माता पार्वती बाई ने किया। जीवन के शुरुआत से ही राजगुरू का रुझान क्रांति की तरफ होने लगा था। बहुत छोटी उम्र में ही राजगुरु पढ़ाई करने बनारस चले गये। बनारस में ही पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात क्रान्तिकारियों से हुई।

राजगुरु चन्द्रशेखर आजाद से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए और उनकी पार्टी हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी से जुड़ गये। राजगुरु छत्रपति शिवाजी की छापामार युद्ध-शैली के बडे प्रशंसक थे।1919 में जलियांवाला बाग में जनरल डायर के नेतृत्व में किए गए नरसंहार का राजगुरु पर काफी असर पड़ा। उसी समय राजगुरु ने भारत को ब्रिटिश साम्राज्य से मुक्त कराने की कसम खाई थी। भगत सिंह पर भी जलियावाला बाग़ का असर पड़ा था।
लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए राजगुरू भगत सिंह के साथ मिलकर लाहौर में अंग्रेज़ अधिकारी जेपी सांडर्स को गोली मार दी। राजगुरु ने 28 सितंबर, 1929 को एक गवर्नर को मारने की कोशिश की थी। अगले ही दिन उन्हें पुणे से गिरफ्तार कर लिया गया था। राजगुरु एक अच्छे निशानेबाज भी थे। उन पर लाहौर षड़यंत्र मामले में शामिल होने का मुकदमा भी चलाया गया। भगत सिंह और सुखदेव के साथ राजगुरू को भी 23 मार्च 1931 को लाहौर के सेंट्रल जेल में फांसी पर लटका दिया गया। अपने दोनों क्रांतिकारी दोस्तों के साथ राजगुरु फांसी के फंदे पर हंसते-हंसते झूल गये।