हरियाणा: समाचार ऑनलाइन- अगर इंसान में कुछ कर गुजरने की तीव्र इच्छा हों तो, वह चट्टानों से होकर भी अपना रास्ता बना लेता है. मतलब कोई भी परिस्थिति इतनी कठिन नहीं ही है जो आपकी सफलता के आड़े आए. इसका ताजा उदाहरण है भारत की महिला टीम की खिलाड़ी शेफाली वर्मा. काफी कम लोगों को मालूम होगा कि, दक्षिण अफ्रीका महिला क्रिकेट टीम के खिलाफ 51 रन की जीत में अहम योगदान देने वाली शेफाली को कई सालों तक एक लड़का बन कर खेलना पड़ा था.
जी हाँ, यह सच है. दक्षिण अफ्रीका में हुए हालिया मैच के बाद शेफाली सुर्खियों में हैं. लेकिन अपने शुरूआती दिनों में उनके क्रिकेट खेलने के जुनून ने उन्हें लड़का बनने पर मजबूर कर दिया था.
लड़की होने के कारण नहीं मिला था एकेडमी में प्रवेश
बताया जाता है कि उनके गृह राज्य हरियाणा में लड़कियों के लिए कोई खेल एकेडमी नहीं थी और लड़कों की एकेडमी में उन्हें खेलने से साफ इंकार कर दिया गया था. इसके बाद वे टूटी नहीं. शेफाली ने लडकों की तरह छोटे बाल कटवाएं, लड़कों के जैसा रहन-सहन सिखा और एकेडमी में भर्ती हों गई. इस सभी में उनके पिता ने उनका पूरा साथ दिया.
सबसे कम उम्र की प्लेयर बनकर टी-20 इंटरनेशनल में किया डेब्यू
सालों तक वे लड़का बनकर खेलती रही, लोगों के ताने सुने, लेकिन आख़िरकार शेफाली और उनके पिता संजीव वर्मा मेहनत रंग लाई. शेफाली को भारतीय महिला क्रिकेट टीम में चुन लिया गया. उन्होंने सबसे कम उम्र (15 साल) की प्लेयर बनकर टी-20 इंटरनेशनल डेब्यू किया और भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई. उन्होंने 46 रनों की शानदार पारी खेलकर सबको चौंका दिया.
What a moment this is for the hard-hitting batter Shafali Verma, who makes her India debut today. She is only 15! 😊💪🏾#INDWvsSAW pic.twitter.com/nD0C6ApQld
— BCCI Women (@BCCIWomen) September 24, 2019
लोगों के सुनने पड़े थे ताने
ज्वैलरी की दुकान चलाने वाले उनके पिता कहते हैं, शेफाली का इस ऊंचाई तक पहुंचने का सफर आसन नहीं रहा. हमने लोगों के ताने सुने हैं. लोगों ने क्या कुछ नहीं कहा, लेकिन अब हम खुश है कि मेरी बेटी का सपना पूरा हों गया है.
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