शिवाजी महाराज जयंती: केसरी रंग में रंगा पुणेरी

पुणे : समाचार ऑनलाइन (असित मंडल) – पुणे शहर समेत पुरे देश भर में आज शिवाजी महाराज की जयंती मनाई जा रही है। छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी सन 1630 को पुणे के पास स्थित शिवनेरी दुर्ग में एक मराठा परिवार में हुआ था। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि उनका जन्म सन 1627 में हुआ था। हिंदू पंचांग की तिथि के अनुसार, उनका जन्म चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को हुआ था। वहीं तिथि के अनुसार 23 मार्च शनिवार को इस महान शासक की जयंती मनाई जा रही है।

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शिवाजी महाराज का पूरा नाम शिवाजी भोसले था। उनकी माता का नाम जीजाबाई और पिता का नाम शहाजी भोसले था। छत्रपति शिवाजी महाराज को उनके अदम्य साहस, कूटनीति, बुद्धिमता, कुशल शासक और महान योद्धा के रूप में पूरा भारत जानता है। शिवाजी महाराज न सिर्फ एक दयालु शासक थे, बल्कि एक महान योद्धा भी थे। यु तो आज देश भर में शिवाजी महाराज की जयंती मनाई जा रही है। लेकिन बात करें महाराष्ट्र की तो आज का दिन पर्व के रूप यहां लोग मनाते है। पुणे, मुंबई, नागपुर, सोलापुर, कोल्हापुर, नासिक आदि जगहों पर आज का दिन बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

केसरी रंग में रंगा पुणेरी –
आज पुणे शहर में जगह-जगह पर लोग शिवाजी महाराज के प्रतिमा स्थापित कर श्रद्धांजलि देकर उन्हें याद कर रहे है। उनकी वीर गाथा की कहानियाँ लाउडस्पीकर पर बजाये जा रहे है। लोगों के मन में आज उन्हें याद कर ख़ुशी की लहरें दौड़ रही है। हर तरफ रंग-बिरँगे वस्त्र पहनकर लोग पंडालों में पहुंच रहे है। आज का दिन देश के साथ-साथ पुणेरीयों के लिए काफी खास है। आज पूरा शहर केसरी रंग में डूब गया है। जगह -जगह पर शिवाजी महाराज के प्रतिमा, पंडाल और केसरिया झंडे दिख रहे है। हर तरफ शिवाजी महाराज की जय-जयकार गूंज रही है।

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शिवाजी महाराज के पास थे 250 किले-  
माना जाता है कि शिवाजी महाराज के पास करीब 250 किले थे। जिनके रख-रखाव और मरम्मत पर वे बड़ी रकम खर्च करते थे। शिवाजी ने कई किलों पर अधिकार किया था जिसमें सिंहगढ़ का किला भी शामिल था। इस किले पर फतह करने के दौरान तानाजी को वीरगति मिली थी। इसके बाद बीजापुर के सुल्तान की राज्य सीमाओं के अतंर्गत आने वाले रायगढ़, चाकन, सिंहगढ़ और पुरंदर के किले भी शीघ्र ही शिवाजी के पास आ गए। गौरतलब है कि अपने शासन काल में कई किलों पर खेल-खेल में फतह हासिल करने वाले शिवाजी महाराज ने लंबी बीमारी के चलते सन 1680 में दम तोड़ दिया, जिसके बाद उनके बेटे संभाजी महाराज ने साम्राज्य को संभाल लिया।

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शिवाजी के राज्य की सीमा व्यापक –
शिवाजी महाराज जितने महान शासक थे। उनके राज्य की सीमा का विस्तार भी उतना ही व्यापक था। शिवाजी के राज्य की पूर्वी सीमा उत्तर के बागलना को छूती हुई, दक्षिण की ओर नासिक एवं पुणे जिलों के बीच से होती हुई एक अनिश्चित सीमा रेखा के साथ समस्त सातारा और कोल्हापुर के अधिकांश भाग को अपने में समेट लेती थी।

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5000 सैनिकों को चकमा देकर मुगल सेना को ऐसे चटाई थी धूल –
वर्ष 1674 में उन्होंने ही पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी थी। उन्होंने कई सालों तक औरंगजेब के मुगल साम्राज्य से संघर्ष किया और मुगल सेना को धूल चटाई। शिवाजी महाराज की मुगलों से पहली मुठभेड़ वर्ष 1656-57 में हुई थी। बीजापुर के सुल्तान आदिलशाह की मृत्यु के बाद वहां अराजकता का माहौल पैदा हो गया था, जिसका लाभ उठाते हुए मुगल शाहजादा औरंगजेब ने बीजापुर पर आक्रमण कर दिया। उधर, शिवाजी ने भी जुन्नार नगर पर आक्रमण कर मुगलों की ढेर सारी संपत्ति और 200 घोड़ों पर कब्जा कर लिया। इसके परिणामस्वरूप औरंगजेब शिवाजी से खफा हो गया। जब बाद में औरंगजेब अपने पिता शाहजहां को कैद करके मुगल सम्राट बना, तब तक शिवाजी ने पूरे दक्षिण में अपने पांव पसार दिए थे। इस बात से औरंगजेब भी परिचित था। उसने शिवाजी पर नियंत्रण रखने के उद्देश्य से अपने मामा शाइस्ता खां को दक्षिण का सूबेदार नियुक्त किया। शाइस्ता खां ने अपनी 1,50,000 फौज के दम पर सूपन और चाकन के दुर्ग पर अधिकार करते हुए मावल में खूब लूटपाट की।

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शिवाजी को जब मावल में लूटपाट की बात पता चली तो उन्होंने बदला लेने की सोची और अपने 350 मवलों के साथ उन्होंने शाइस्ता खां पर हमला बोल दिया। इस हमले में शाइस्ता खां को बचकर निकलने में कामयाब रहा, लेकिन इस क्रम में उसे अपनी चार अंगुलियों से हाथ धोना पड़ा। बाद में औरंगजेब ने शाहजादा मुअज्जम को दक्षिण का सूबेदार बना दिया।
औरंगजेब ने बाद में शिवाजी से संधि करने के लिए उन्हें आगरा बुलाया, लेकिन वहां उचित सम्मान नहीं मिलने से नाराज शिवाजी ने भरे दरबार में अपना रोष दिखाया और औरंगजेब पर विश्वासघात का आरोप लगाया। इससे नाराज औरंगजेब ने उन्हें आगरा के किले में कैद कर दिया और उनपर 5000 सैनिकों का पहरा लगा दिया, लेकिन अपने साहस और बुद्धि के दम पर वो सैनिकों को चकमा देकर वहां से भागने में सफल रहे।