खुद को तो मार ली गोली मगर दूसरों को दिया नया जीवन

भोपाल। समाचार ऑनलाइन

खुद को गोली मारकर अपना जीवन समाप्त कर लेनेवाले एक शख्स ने मरने के बाद छः लोगों को नया जीवन दिया है। मानवता की यह मिसाल मध्यप्रदेश के भोपाल के अतुल लोखंडे ने पेश की है।उनके दिल से दिल्ली एम्स में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे एक मरीज को शुक्रवार सुबह नया जीवन मिल गया। वहीं उनकी एक किडनी चिरायु व दूसरी सिद्धांता अस्पताल में भर्ती मरीज को ट्रांसप्लांट की गई। अतुल लोखंडे भोपाल में भाजयुमो नेता थे, जिन्होंने मंगलवार रात खुद को गोली मार ली थी।

यही नहीं लिवर बंसल अस्पताल में भर्ती मरीज में ट्रांसप्लांट किया गया। जबकि आंखें हमीदिया अस्पताल को दान की गई। इस तरह अतुल के अंगों से कुल छह मरीजों को नया जीवन मिला। हालांकि डॉक्टरों को फ्लाइट नहीं मिलने के कारण अतुल के फेफड़े दान नहीं हो सके। इस कारण चेन्न्ई के फोर्टिश अस्पताल में फेफड़ों की बीमारी से जूझ रहे मरीज और उसके परिजन को निराशा हाथ लगी। अतुल के हार्ट को अस्पताल से एयरपोर्ट तक भेजने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया था।

गुरुवार देर रात डॉक्टरों की टीम ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित किया था। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली के डॉक्टरों की एक टीम रात में ही सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. चंद्रशेखर के नेतृत्व में भोपाल पहुंच गई थी। टीम ने शुक्रवार तड़के 3 बजे से अतुल के शरीर से अंगों को निकालने की प्रक्रिया शुरू की। सुबह 6 बजे तक हार्ट को छोड़कर बाकी के अंग निकाले गए। इसके बाद हार्ट निकाला गया, जिसे सुबह 6.21 बजे एयरपोर्ट के लिए रवाना किया गया। हार्ट को ले जाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया था। एयरपोर्ट से सुबह 7.20 बजे के करीब डॉक्टरों की टीम फ्लाइट से हार्ट को लेकर दिल्ली रवाना हो गई। इसके बाद किडनी एक किडनी सिद्धांता, दूसरी चिरायु अस्पताल भेजी गई। जहां पर मरीजों को ट्रांसप्लांट की गई। लिवर का ट्रांसप्लांट बंसल अस्पताल में ही हुआ।

हमीदिया अस्पताल में अतुल के शव का पोस्टमार्टम होने के बाद आंखें भी दान कर दी गईं। अतुल के एपनिया टेस्ट (ब्रेन डेड से जुड़ी) रिपोर्ट रात 12.07 मिनट पर आई। तब तक हार्ट निकालने वाली दिल्ली एम्स के डॉक्टरों की टीम भोपाल के लिए रवाना हो चुकी थी। फेफड़े निकालने वाली टीम चेन्न्ई से आनी थी जो शुक्रवार सुबह 8 बजे के करीब भोपाल पहुंची। भोपाल आर्गन डोनेशन सोसायटी के काउंसलर सुनील राय ने बताया कि इस तरह भोपाल से हार्ट लेकर दिल्ली जाने वाली फ्लाइट सुबह 7.20 बजे के करीब थी। इसके बाद दूसरी फ्लाइट के लिए काफी इंतजार करना पड़ता, जो कि संभव नहीं था। इसके चलते तय किया गया फेफड़े न निकालकर हार्ट ही निकाला जाएगा।