बिना बैंड-बाजे के निकलेगी भगवान श्रीराम की बरात, 71 वर्षों में पहली बार ऐसी ‘खामोशी’

 गया. ऑनलाइन टीम : भारतीय संस्कृति में अनेक रीति-रिवाज, परंपराएं ऐसी रहीं हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्हें विधिवत किए बिना न तो विवाह संपन्न हो सकता है और न ही इंसान को मोक्ष मिल सकता है। पिछले ढाई माह से कोरोना के प्रकोप और शासन के बनाए कठोर नियमों के चलते परंपराओं का पालन करने से लोगों को वंचित रहना पड़ा।

ऐसा ही असर भगवान श्रीराम के विवाह पर भी पड़ा है। झारखंड के गया शहर के दक्षिणी क्षेत्र स्थित विष्णुपद मंदिर प्रांगण में बीते 71 वर्षों से श्रीराम विवाह का भव्य आयोजन होता आ रहा है। इस वर्ष भी 18 दिसंबर से दो दिवसीय श्री राम विवाह उत्सव की तैयारी शुरू कर दी गयी है। लेकिन, बीते वर्षों की तरह इस बार श्रीराम विवाह के आयोजन में भव्यता नहीं होगी। मंदिर परिसर से बिना बैंड बाजा के केवल झाल-करताल के साथ श्रीराम की बरात निकाली जायेगी। बरात में काफी कम लोग शामिल होंगे। बारात विष्णुपद मंदिर के आसपास भ्रमण कर पुनः मंदिर पहुंचकर समाप्त हो जायेगी, जबकि श्रीराम के इस बरात में शहर के काफी लोग बराती के रूप में शामिल होकर नाचते-गाते थे। बरात विष्णुपद मंदिर परिसर से निकलकर चांदचौरा, रामसागर रोड, जीबी रोड, चौक सहित शहर के कई प्रमुख मार्गों से होते हुए पुनः विष्णुपद लौटती है।

इस बार अगले दिन 19 दिसंबर को दोपहर बाद हिंदू रीति-रिवाज व धार्मिक परंपरा के साथ श्रीराम विवाह आयोजित किया जायेगा। कार्यक्रम में काफी कम लोगों को शामिल होने की व्यवस्था की गयी है।  समिति के सचिव गजाधर लाल पाठक व सदस्य महेश लाल गुप्त ने बताया कि कोरोना के कारण इस वर्ष 18 दिसंबर को श्रीराम की बारात की औपचारिकता पूरी की जायेगी।  श्रीराम विवाह संपन्न होने के बाद मौजूद श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद का वितरण किया जायेगा।