दिलचस्प होगी सिद्धारमैया और रेड्डी बंधुओं की लड़ाई

कर्नाटक विधानसभा चुनाव इस बार बेहद रोचक होने जा रहा है। एक तरफ जहाँ दो विरोधी दल आमने-सामने हैं, वहीं दिग्गज नेता भी व्यक्तिगत तौर पर एक-दूसरे को चुनौती देने को तैयार हैं। वर्तमान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को दो मोर्चों पर लड़ाई लड़नी हैं। उन्हें बीएस येदियुरप्पा के साथ-साथ रेड्डी बंधुओं को भी जवाब देना है। रेड्डी बंधुओं से सिद्धारमैया का रिश्ता काफी पुराना है। विपक्ष के नेता के रूप में सिद्धारमैया ने कथित खनन माफिया और आपराधिक गतिविधियों को लेकर रेड्डी बंधुओं को निशाना बनाया था। जिसके बाद उन्हें रेड्डी बंधुओं से धमकी भी मिली थी। रेड्डी बंधुओं ने यहाँ तक कहा था कि यदि सिद्धारमैया में दम है, तो उनके गढ़ बेल्लारी का दौरा करके दिखाए।

वनवास का बदला लेना है
इसके बाद सिद्धारमैया ने रेड्डी बंधुओं के प्रभाव को कम करने के लिए बेल्लारी में 350 किलोमीटर की लंबी यात्रा निकाली। इस रैली को मिले जनसमर्थन ने जहां सिद्धारमैया की ताकत में इजाफा किया वहीं भाजपा और रेड्डी बंधुओं को कई मायनों में नुकसान उठाना पड़ा। इस घटना के साल भर के बाद जब येदियुरप्पा को खनन घोटाले के आरोप सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी, सीबीआई ने रेड्डी बंधुओं को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इसके दो साल बाद चुनाव हुए और सिद्धारमैया को उनकी लोकप्रियता का फायदा मिला। कांग्रेस ने उनके नेतृत्व में सरकार बनाई और यहीं से रेड्डी बंधुओं का राजनीतिक वनवास शुरू हुआ।

सिखाएंगे सबक
जेल में करीब चार साल बीताने के बाद जनार्दन रेड्डी बाहर आये, तो उनका रुतबा और रसूख ख़त्म हो चुका था। भाजपा ने भी उनसे दूरी बना ली थी। हालांकि इससे पहले कि वो कुछ ख़ास कर पाते सिद्धारमैया ने एक अन्य खनन मामले में जनार्दन को फिर से जेल भेज दिया। कुछ महीनों बाद जब जनार्दन जेल से बाहर आए तो उन्होंने अपने समर्थकों के बीच ऐलान किया कि अब कर्नाटक की लड़ाई सिद्धारमैया बनाम जनार्दन के बीच निजी लड़ाई हो गई है; और वह अगले चुनाव में सिद्धारमैया को सबक जरूर सीखाएंगे।

भाजपा ने नज़रंदाज़ किये दामन के दाग
जनार्दन रेड्डी के पास अपनी उस कसम को पूरा करने का अब मौका है, क्योंकि भाजपा सबकुछ भुलाकर उन्हें गले लगा चुकी है। दरअसल, भाजपा अच्छी तरह से जानती है कि कर्नाटक में उसके लिए सत्ता हासिल करना बाकी राज्यों जितना आसान नहीं होगा, इसलिए उसने रेड्डी बंधुओं पर दांव खेला है। मौजूदा समय में रेड्डी बंधु इतनी ताकत रखते हैं कि कुछ सीटों पर किसी भी पार्टी का खेल बिगाड़ सकें, अब यदि भाजपा उन्हें और उनके समर्थकों को टिकट नहीं देती तो उसे सीधे तौर पर नुकसान उठाना पड़ता। लिहाजा पार्टी ने रेड्डी बंधुओं के दामन पर लगे दाग को नज़रंदाज़ करते हुए उन्हें गले लगा लिया।

रेड्डी बंधुओं की बेल्लारी, चित्रदुर्ग और रायचूर जिलों में उनकी अच्छी पकड़ है। बेल्लारी के सासंद बी श्रीरामुलू अनुसूचित जनजाति के लोकप्रिय नेता हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि सिद्धारमैया और रेड्डी बंधुओं की इस व्यक्तिगत लड़ाई में जीत किसकी होती है।