नई दिल्ली: समाचार ऑनलाइन- दिल्ली पुलिस ने अपने महकमें में ऐसे ‘डॉग-स्क्वॉड’ को शामिल किया है, जो आने वाले दिनों में अपनी जांबाजी से दिल्ली पुलिस का नाम तो रोशन करेंगे ही, साथ मददगारों की मदद भी करेंगे. जी हाँ, हाल ही में दिल्ली पुलिस ने 5 गोल्डन रिट्रीवर नस्ल के डॉग को अपने खेमे में शामिल किया है, जो कि अपनी फुर्ती, चतुरता, बुद्धि, शिकारी स्वभाव, बहादुरी और अजीब सूंघने की शक्ति जैसी अनेक खूबियों के कारण जाने जाते हैं. अब ये डॉग अपराधियों को दबोचने के साथ-साथ नेत्रहीनों को भी रास्ता पार कराने में मदद करेंगे. इसके लिए इन्हें खास प्रशिक्षण दिया जाएगा.
‘डायल-112’ की सफल लॉन्चिंग के बाद दिल्ली पुलिस इस ‘डॉग-स्क्वॉड’ की भर्ती को लेकर गद-गद है.
दिल्ली पुलिस के बेड़े में पहली बार शामिल होने वाले इन पांच गोल्डन-र्रिटीवर का नाम- कांगो, जैंड्रा, क्रिसी, कोस्बी और कामत है. पांचों की अनुमानित उम्र इस वक्त सिर्फ 12 से 15 महीने के बीच है. इनका जन्म हैदराबाद में हुआ है.
दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त (अपराध) सतीश गोलचा ने आईएएनएस को बताया, “जहां तक मेरी जानकारी में है अब तक गोल्डन-र्रिटीवर की भर्ती केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ), स्पेशल प्रोटक्शन ग्रुप (एसपीजी) और नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (एनएसजी) में ही हुआ करती थी. राज्य पुलिस में दिल्ली के अलावा और इनकी किस-किस पुलिस ने भर्ती की है, कह पाना फिलहाल मुश्किल है।”
वातानुकूलित घरों में रहेंगे ये डॉग
छानबीन करने और सूंघने की भी इनमें गजब की क्षमता होती है, जमीन के अंदर काफी गहराई तक सूंघने की इनकी क्षमता इनमें होती है. इन्होंने एक बार अगर किसी सुगंध को भांप लिया, तो फिर नहीं भूलते. यही वजह है जो इन्हें ‘इंसानी दुनिया के जासूसों से भी बेहतर जासूस साबित करती है.’ शायद यही वजह है कि दिल्ली पुलिस ने इनके रहने के लिए भी वातानुकूलित घरों (कैनाल) का इंतजाम किया है.
इन्हें देखभाल की खासी जरूरत
कई साल से दिल्ली पुलिस में इनकी देख-रेख के प्रभारी के बतौर इनकी तमाम नस्लों के करीब रहने वाले दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के डीसीपी (उपायुक्त सीआरओ) राजन भगत ने आईएएनएस से कहा, “यह जितने सुंदर, सभ्य, शांत और काबिल होते हैं उतनी ही इनकी देखभाल ज्यादा करनी पड़ती है। जरा भी वक्त भूखा रहना इनकी फितरत में नहीं होता है।”
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