कुछ तो बड़ा करना है! कहीं इसी धुन में तो नहीं फंस गये सचिन वाझे?

मुंबई : 90 के दशक में 60 से अधिक एनकाउंटर करने वाले सचिन वाझे का उस समय बहुत दबदबा था। हालांकि ख्वाजा यूनुस प्रकरण में नाम सामने आने के बाद सचिन वाझे की प्रतिमा धूमिल हो गई। 90 के दशक का वो दबदबा वाझे को फिर से दिखाया था।ऐसे ही विभाग में आने के बाद वाझे को सीआईयू जैसे महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी दी गई। कभी भी चर्चा में न आने वाला यह ब्रांच वाझे की वजह से चर्चा में आ गया।

डीसी अवंतिका केस, फेक इंस्टाग्राम फ़ॉलोअर, ऋतिक रोशन का फेक ईमेल आईडी, टीआरपी जैसे महत्वपूर्ण क्राइम सौंपे गए थे। इस वजह से वाझे फिर से चर्चा में आ गए थे, हालांकि अंबानी के धमकी पत्र में ‘कुछ तो बड़ा करना है’ ऐसा लिखा गया था। इसपर संदेह जताया जा रहा है कि वाझे ने फिर से चर्चा में आने के लिए यह कारनामा किया है।

कौन हैं सचिन वाझे?

1990 में सर्विस में शामिल होने के बाद वाझे ने 63 अपराधियों को यम कए दर्शन कराया। उनके कार्यकाल की शुरुआत उपनिरीक्षक पद से हुई। गडचिरोली जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्र से शुरुआत करने वाले वाझे ने पुलिस दल में अपने कार्यो की वजह से प्रसिद्धी पायी। 2002 में घाटकोपर विस्फोट के संदिग्ध आरोपी आरोपी ख्वाजा यूनुस की कस्टडी में संदिग्ध मौत के मामले में उन्हें निलंबित कइया गया था। उसके बाद 2008 में उन्होने शिवसेना में प्रवेश किया। ख्वाजा युनुस मामले में वाझे के साथ 1 और पुलिस को निलंबित किया गया था। उसके ऊपर मामला भी दर्ज किया गया था। कोर्ट की कारवाई भी हुई थी। वाझे के साथ अन्य विविध मामले में निलंबित 18 पुलिस को सर्विस में फिर से शामिल किया गया। इसके बाद वाझे को क्राइम ब्रांच के गुप्त वार्ता विभाग के प्रभारी पद पर नियुक्त किया गया था।

अर्णब गोस्वामी को घर से उठाया

इसी बीच अन्वय नाईक आत्महत्या मामले में रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्णब गोस्वामी को अलिबाग पुलिस ने गिरफ्तार किया था। नवंबर 2020 में यह कार्रवाई की गई थी। इस समय सचिन वाझे की टीम ने अर्णब गोस्वामी को घर से उठाया था।