टॉप्स स्कीम से पहले जमीनी स्तर पर ध्यान देने की जरूरत : सोमदेव

कोलकाता (आईएएनएस) : समाचार ऑनलाईन – भारत के पूर्व टेनिस खिलाड़ी सोमदेव देवबर्मन का मानना है कि एकल टेनिस खिलाड़ियों को टारगेट ओलम्पिक पोडियम स्कीम (टॉप्स) में शामिल करने से पहले जमीनी स्तर पर अच्छे परिणाम हासिल करने के लिए एक विकास योजना होना चाहिए।

भारत के युगल खिलाड़ी रोहन बोपन्ना और दिविज शरण ही ऐसे खिलाड़ी हैं, जो टॉप्स स्कीम का हिस्सा हैं। टॉप्स स्कीम में शामिल खिलाड़ियों को सरकार से आर्थिक सहायता मिलती है।

सोमदेव ने सोनी पिक्चर्स नेटवर्क कार्यक्रम से इतर आईएएनएस से कहा, “टॉप्स स्कीम, ओलंपिक पोडियम के लिए है। ओलम्पिक पोडियम में शामिल होने से पहले काफी मेहनत करना पड़ता है। इसके लिए जमीनी स्तर पर विकास करने की जरूरत है। इसके अलावा अधिक से अधिक से टूर्नामेंट आयोजित होनी चाहिए।”

सोनी पिक्चर्स नेटवर्क टोक्यो ओलंपिक-2020 का आधिकारिक प्रसारणकर्ता होगा।

उन्होंने कहा, “वास्तव में पूरे देश में खिलाड़ियों के लिए कई अवसर है। अगर जब खिलाड़ियों को अवसर मिलता है तो आपको एक विकास कार्यक्रम की जरूरत होती है, जहां बच्चे एक अच्छी प्रणाली से गुजरते हैं और बेहतर खिलाड़ियों के रूप में सामने आते हैं।”

सोमदेव ने कहा, “टॉप्स कार्यक्रम में अधिक खिलाड़ियों को शामिल करने के लिए जमीनी स्तर पर एक बेहतर विकास कार्यक्रम आयोजित करने की जरूरत है।”

पूर्व नंबर एक खिलाड़ी ने कहा कि अखिल भारतीय टेनिस संघ (एआईटीए) के पास विकास कार्यक्रमों को लागू करने के लिए विशेषज्ञता की कमी है।

उन्होंने साथ ही कहा कि महासंघ के पास बेहतर विकास कार्यक्रमों को लागू करने की विशेषज्ञता नहीं है और भारतीय टेनिस विश्व में काफी पीछे है।

सोमदेव ने कहा, “एक खिलाड़ी के रूप में एआईटीए पर भरोसा करना बुद्धिमानी नहीं हो सकती है। मैं उनकी भूमिका के बारे में बहुत निश्चित नहीं हूं। आज हम जिन खिलाड़ियों की चर्चा करते हैं वे सभी टूर पर हैं और टूर पर अपना पैसा कमाते हैं।”

उन्होंने कहा, “डेविस कप और फेड कप के अलावा एआईटीए की इन खिलाड़ियों के विकास में कोई भूमिका नहीं है। ओलंपिक में किसी भी तरह की सार्थक मदद की उम्मीद करना एक विकल्प नहीं है। मुझे नहीं लगता कि वे वास्तव में जानते हैं कि मदद कैसे करनी है क्योंकि उन्होंने कभी मदद नहीं की है।”

पूर्व खिलाड़ी ने साथ ही कहा, “एक चीज जो मुश्किल है, वह है सरकार का बदलते रहना। लोगों के लिए यह बहुत मुश्किल काम है। यह एक आलोचना नहीं है, बल्कि सिर्फ एक नजरिया है।”