‘अपनी खाल बचाने के लिए इमोशनल कार्ड खेल रहे हैं स्टीमाक’

नई दिल्ली (आईएएनएस) : समाचार ऑनलाईन – नए मुख्य कोच इगोर स्टीमाक की देखरेख में भारत ने अपना पहला ‘एसाइनमेंट’ पूरा कर लिया है। इसमें उसे 50 फीसदी सफलता मिली। किंग्स कप में भारत को दो में से एक मैच में जीत मिली और एक में हार। इस टूर्नामेंट से पहले थाईलैंड की परिस्थितियों को चुनौतीपूर्ण बताकर खुद को सुरक्षित करने वाले स्टीमाक ने बड़ी समझदारी से दूसरे मैच के बाद इमोशनल कार्ड खेला।

थाईलैंड पर मिली 1-0 की मुश्किल जीत के बाद स्टीमाक ने कहा था, “मैं अपने खिलाड़ियों और स्टाफ का धन्यवाद करना चाहूंगा क्योंकि बीते दो सप्ताह में मैंने जो हासिल करने का लक्ष्य बनाया था, इनकी मदद से उन्हें हासिल किया। मैं एआईएफएफ सहित सभी को धन्यवाद देना चाहूंगा। मैं इसलिए भी खुश हूं क्योंकि पहली हार के बाद भारत के लोगों ने हमारा समर्थन किया था। मुझे अपने खिलाड़ियों पर गर्व है। इस टीम में कई प्रतिभाशाली युवा खिलाड़ी हैं।”

स्टीमाक के ये शब्द भावनाओं से ओत-प्रोत हैं लेकिन भारत के लिए खेल चुके एक पूर्व खिलाड़ी मानते हैं कि स्टीमाक सिर्फ और सिर्फ अपनी खाल बचाने के लिए इमोशनल कार्ड खेल रहे हैं क्योंकि वह जानते हैं कि थाईलैंड में भारत का प्रदर्शन अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा है। खासतौर पर ऐसे में जब भारत आने से पहले स्टीमाक ने एआईएफएफ के सामने भारतीय फुटबाल के विकास को लेकर काफी विस्तृत ब्ल्यूप्रिंट रखा था।

किंग्स कप में भारत के लिए खेल चुके हैदराबाद के पूर्व भारतीय खिलाड़ी ने नाम जाहिर नहीं होने देने की शर्त पर आईएएनएस से कहा, “इगोर बड़े चालक है। थाईलैंड जाते ही उनसे हालात को चुनौतीपूर्ण बताकर अपने आपको सुरक्षित करना चाहा और फिर कुराकाओ के खिलाफ पहला मैच हारने के बाद वह चुप रहे। थाईलैंड के खिलाफ हमें मुश्किल जीत मिली और इसके बाद उसने इमोशनल कार्ड खेलकर अपनी खाल बचानी चाही है।”

स्टीमाक ने हालांकि एक अच्छी बात यह कही कि मौजूदा भारतीय टीम में एक स्थान के लिए जबरदस्त प्रतिस्पर्धा है और इसे लेकर वह बड़ा असहाय महसूस कर रहे हैं। स्टीमाक ने कहा, “मेरी टीम में हर स्थान के लिए जबरदस्त प्रतिस्पर्धा है। एक कोच होने के नाते खुद को बड़ा असहाय महसूस करता हूं।”

भारत के लिए 70 और 80 के दशक में सेंट्रल मिडफील्ड पोजीशन पर खेल चुके इस खिलाड़ी ने कहा कि थाईलैंड के खिलाफ पूरी तरह अपने डिफेंस पर आश्रित रहे क्योंकि उनका टोटल फुटबाल का कांसेप्ट फ्लाप हो गया।

ईस्ट बंगाल और टाटा अकादमी जैसी महत्वपूर्ण टीमों के लिए खेल चुके इस खिलाड़ी ने कहा, “थाईलैंड जाने से पहले स्टीमाक ने टोटल फुटबाल को लेकर काफी काम किया था लेकिन अंतत: वह डिफेंस पर आश्रित दिखे। मलेशिया ने दूसरे हाफ में कई अच्छे हमले किए। हम सौभाग्यशाली रहे कि हमारे खिलाफ गोल नहीं हुआ। हम सिर्फ डिफेंस को सजाकर मैच नहीं जीत सकते। हमें अटैक पर भी काम करना होगा।”

स्टीमाक ने हालांकि इस पर गौर किया था और अपने सम्बोधन में इसका जिक्र भी किया था। उन्होंने कहा, “पहला गोल करने के बाद हमने थाईलैंड को गेंद पर अधिक से अधिक नियंत्रण लेने दिया। हम गेंद पाने के लिए प्रयास नहीं कर रहे थे। पहले हाफ में हमने कुछ अच्छे काउंटर अटैक किए थे लेकिन हमारे खिलाड़ी लचर नजर आए थे।”

खिलाड़ी ने यह भी कहा कि स्टीमाक को अपने कार्यकाल के दूसरे ही मैच में बड़े खिलाड़ियों को डगआउट में बैठाने का रिक्स नहीं लेना चाहिए था क्योंकि इससे टीम के मनोबल पर बुरा असर पड़ता है।

उन्होंने कहा, “कप्तान सुनील छेत्री सहित कई अहम खिलाड़ी मैदान पर नहीं उतरे। आठ नए खिलाड़ियों को मौका दिया गया। स्टीमाक को इतना रिस्क लेने की जरूरत नहीं थी क्योंकि यह उनके कार्यकाल का दूसरा ही मैच था और अगर हम यह मैच हार जाते तो इससे टीम के मनोबल पर बुरा असर पड़ता क्योकि आने वाले समय में हमें ओलम्पिक क्वालीफायर खेलने हैं और उसके लिए टीम की मनोदशा सकारात्मक रहनी जरूरी है।”