‘चौकीदार चोर है’ बयान पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त चेतावनी के साथ राहुल की माफ़ी को मंजूर किया 

नई दिल्ली : समाचार ऑनलाइन – गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने राफेल मामले पर राहुल गांधी पर चल रहे मानहानि के मामले में फैसला सुनाया। कोर्ट ने राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना का केस चलाने की इजाजत को ख़ारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की मांफी मंजूर कर ली है. कोर्ट ने केस बंद करते हुए राहुल गांधी को चेतावनी दी कि अपनी राजनीतिक दुश्मनी में कोर्ट को बीच में न लाये। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नेताओ को जिम्मेदारी से बयान देना चाहिए। कोर्ट ने कहा, राहुल गांधी को अपनी टिपण्णी के लिए भविष्य में ज्यादा सावधान रहने की जरुरत है.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ बीजेपी की नेता मीनाक्षी लेखी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट के हवाले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ ‘चकौकार चोर है’ वाला बयान देने के लिए राहुल पर आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की मांग की गई थी.

इस मामले में दाखिल मानहानि की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस मामले में सुनवाई सीजीआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच कर रही थी. 

क्या है पूरा मामला 

2019 लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राफेल डील में कथित गड़बड़ी से जोड़ते हुए चौकीदार चोर है कहा था. इसके बाद बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने सुप्रीम कोर्ट में राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की थी. इस याचिका में राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने की मांग की गई थी. साथ ही याचिका में ये भी कहा गया था कि राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री पर सुप्रीम कोर्ट का नाम लेकर झूठे आरोप लगाए थे.

‘चौकीदार चोर है’ वाले बयान को बीजेपी ने बनाया था चुनावी मुद्दा 

2019 लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने चौकीदार चोर है का नारा खूब उछाला था. वही भाजपा नेताओ ने अपने सोशल मीडिया पर अपने नाम के आगे चौकीदार लिख डाला था.

राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी थी माफ़ी 

इस मामले में राहुल ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि उन्होंने यह बयान उतेजना में दिया था. जिसका विरोधियों ने इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कभी नहीं कहा कि चौकीदार चोर है. ऐसी सोच तो मेरी दूर दूर तक नहीं थी।  कोई भी कोर्ट ऐसा कुछ कभी नहीं कहेगी।बाद में उन्होंने बिना शर्त मांफी मांगते हुए केस बंद करने की गुहार लगाई थी.

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