अर्णब को धमकी भरा पत्र देने पर सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को लगाई लताड़, कहा- अगली सुनवाई में विधानसभा सचिव हाजिर रहें

नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम : महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की आलोचना को लेकर महाराष्ट्र विधानसभा के सचिव ने अर्नब गोस्वामी के खिलाफ विशेषाधिकार नोटिस जारी किया था। महाराष्ट्र सरकार का कहना था कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत केस में जिस तरह से अर्नब गोस्वामी ने टीवी बहस के दौरान महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ बिना किसी सबूत बयानबाजी की उससे विधायक के विशेषाधिकार का हनन हुआ है। अब इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने  महाराष्ट्र सरकार को जमकर लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा के सचिव को अर्नब गोस्वामी को धमकी भरे अंदाज में लिखा पत्र भेजने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई इस तरह से पत्र भेजकर कैसे डरा सकता है।

इस तरह से धमकियां देकर कैसे किसी को अदालत में आने से कैसे रोका जा सकता है। नोटिस में विधानसभा सचिव को कहा गया है कि अर्नब गोस्वामी को धमकी देने के लिए उनके खिलाफ अदालत की अवमानना के लिए कार्यवाही क्यों नहीं की जाए। चीफ जस्टिस ने कहा कि देश में कोई प्राधिकरण किसी को अदालत के पास आने के धमका या दंडित नहीं कर सकता। साथ ही अदालत ने आदेश दिया कि विशेषाधिकार मामले में अर्नब की गिरफ्तारी नहीं की जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा के सचिव को दो सप्ताह बाद इस केस की अगली सुनवाई के दौरान कोर्ट में हाजिर रहने को कहा है।  चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे की अगुआई वाली बेंच ने इस मामले में वरिष्ठ वकील अरविंद दातार को न्याय मित्र नियुक्त किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह लेटर गंभीरतापूर्वक न्याय प्रशासन में दखल देने वाला है, क्योंकि इसमें कोर्ट जाने को लेकर गोस्वामी को धमकाया गया है।

जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन ने इस खत को अभूतपूर्व और चौंकाने वाला बताया। कोर्ट ने कहा, ”लेटर लिखने वाले का स्पष्ट उद्देश्य याचिकाकर्ता को भयभीत करना प्रतीत होता है, क्योंकि उसने कोर्ट का रुख किया और उसे ऐसा करने को लेकर जुर्माने की धमकी दी गई।” कोर्ट ने आगे कहा, ”विधानसभा को यह समझने की सलाह दी जानी चाहिए थी कि कोर्ट जाने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत मौलिक अधिकार है।”

सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में सहायता के लिए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल को नोटिस जारी किया है। गोस्वामी के वकील हरीश साल्वे ने 13 अक्टूबर को लिखे गए लेटर को कोर्ट के सामने पेश किया। साल्वे ने 47 वर्षीय पत्रकार की पत्नी की ओर से शपथपत्र के साथ आवेदन दिया, क्योंकि खुद अर्नब एक अन्य मामले में जेल में हैं। गोस्वामी को बुधवार को 2018 के एक सुसाइड मामले में गिरप्तार कर लिया गया था।