सुप्रीम कोर्ट का निर्णय हिंदू भावनाओं को ध्यान में रखकर होना चाहिए: आरएसएस

मुंबई | समाचार ऑनलाइन – मुंबई में चल रही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की 3 दिवसीय बैठक का समापन आज हुआ। बैठक के समापन के बाद आरएसएस के सर कार्यवाहक भैय्या जी जोशी ने पत्रकार सम्मेलन कर राम मंदिर सहित भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और संघ प्रमुख मोहन भागवत के बीच हुई बैठक की जानकारी दी।

राम मंदिर निर्माण मामले में उन्होंने कहा कि, राम मंदिर बने ये सबकी इच्छा है। राम सब के दिल में हैं पर वो प्रकट मंदिर के द्वारा ही होते है। हम चाहते हैं कि मंदिर बने। काम में कुछ बाधाएं अवश्य हैं और हम अपेक्षा कर रहे हैं कि न्यायालय हिन्दू भावनाओं को समझकर निर्णय देगा।
29 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले की सुनवाई जनवरी 2019 तक टाल दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मसले पर अगली सुनवाई जनवरी 2019 में एक उचित पीठ के समक्ष होगी। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2010 के अपने फैसले में विवादित स्थल को तीन भागों रामलला, निर्मोही अखाड़ा व मुस्लिम वादियों में बांटने का फैसला दिया था।
आगे उन्होंने कहा कि, अगर कोई रास्ता नहीं बचता तो कानून बनाना आखिरी रास्ता है, लेकिन इस फैसले को सरकार को लेना है। यह मामला 30 सालों से चल रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि, अगर जरूरत पड़ती है तो आंदोलन फिर से किया जाएगा।
1994 में आरएसएस ने केंद्र से उच्चतम न्यायालय में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा उच्चतम न्यायालय में किये गए वादों को पूरा करने का अनुरोध किया था। संघ ने कहा था कि, तत्कालीन सरकार इस बात पर सहमत हो गयी थी कि यदि बाबरी मस्जिद बनने से पहले वहां मंदिर होने के साक्ष्य पाये गये तो वह हिन्दू समुदाय का साथ देगी।