पुरी मंदिर: आस्था पर न हो धर्म का पहरा, हर व्यक्ति को मिले प्रवेश

नई दिल्ली: पूरी के भगवान जगन्नाथ मंदिर से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हिंदुत्व किसी और की आस्था को खत्म करने की बात नहीं करता। यह व्यक्ति की आस्था है और इसका यह स्वरूप सदियों से रहा है जो दूसरे को प्रभावित नहीं करता। ना ही दूसरे के आड़े आता है। आपको बता दें कि भगवान जगन्नाथ मंदिर में हिंदुओं के अलावा किसी भी दूसरे धर्म के लोगों के प्रवेश पर मनाही है। सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर मंदिर परिसर में कुप्रबंधन और सेवकों के गलत आचरण का आरोप लगाया गया है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में सवाल उठाया गया कि क्या किसी धर्म विशेष को मानने वाले शख्स को दूसरे धर्म के धार्मिक स्थल पर प्रवेश की इजाजत दी जा सकती है, खासकर जब धार्मिक स्थल के बाहर यह लिखा हो कि गैर धर्म के व्यक्ति का प्रवेश निषेध है?

ड्रेस कोड के साथ दे सकते हैं इज़ाज़त
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर प्रबंधन को इस बात पर विचार करना चाहिए कि अन्य धर्म के लोगों को विशेष ड्रेस कोड के बाद मंदिर में दर्शन की इजाजत दी जाए। कोर्ट ने इस दौरान भगवत गीता का भी जिक्र किया। बेंच ने सुझाव दिया कि इस पर विचार किया जाए कि जो लोग मंदिर की परंपरा का पालन करने को तैयार हैं, उन्हें मंदिर में जाने दिया जाए। यह सुझाव केंद्र और राज्य सरकार को भी दिया गया है। मामले कि अगली सुनवाई 5 सितंबर को होगी।

क्यों दाखिल हुई याचिका
याचिकाकर्ता मृणालिनी पधी का आरोप है कि जगन्नाथ मंदिर में श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यहाँ के सेवक श्रद्धालुओं को तरह-तरह से प्रताड़ित करते हैं। इसके मद्देनजर कोर्ट मामले में केंद्र, उड़ीसा सरकार और मंदिर प्रबंधन कमिटी को नोटिस जारी कर चुका है।