‘शुक्रयान’ मिशन में शामिल होगा स्वीडन,  कोरोना के कारण प्रक्षेपण तिथि आगे बढ़ी   

 बेंगलुरु. ऑनलाइन टीम : भारत के वीनस ऑर्बिटर मिशन ‘शुक्रयान’ में स्वीडन भी शामिल हो गया है। इसे 2024-26 में प्रक्षेपित किया जा सकता है। इससे पहले में शुक्र ग्रह पर जून 2023 में देश के पहले मिशन की योजना थी, लेकिन महामारी कोविड-19 के कारण इसकी तारीख आगे बढ़ा दी गई। अब इसे 2024 या 2026 में प्रक्षेपित किया जा सकता है।

यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि  इस ग्रह पर मिशन को प्रक्षेपित करने का बेहतरीन अवसर हर 19 महीने में आता है, जब शुक्र ग्रह पृथ्वी के सबसे निकट होता है। बता दें कि आकार, घनत्व और गुरुत्वाकर्षण में समानताओं के कारण शुक्र को पृथ्वी की ‘जुड़वां बहन’ माना जाता है। दोनों ही ग्रहों की उत्पत्ति 4.5 अरब साल पहले हुई थी। पृथ्वी की तुलना में शुक्र ग्रह सूर्य के करीब 30 फीसद अधिक निकट है।

खगोल शास्त्रियों को शुक्र ग्रह के वायुमंडल में एक गैस मिली है, जो वहां जीवन होने का संकेत दे रही है।उस गैस का नाम है फॉस्फीन-अणु जो एक फास्फोरस के कण और तीन हाइड्रोजन के कणों से मिलकर बना है। धरती पर फॉस्फीन का संबंध जीवन से है। ये पेंगुइन जैसे जानवरों के पेट में पाए जाने वाले सूक्ष्म जीवों से जुड़ा है या दलदल जैसी कम ऑक्सीजन वाली जगहों पर पाया जाता है। इस गैस को माइक्रो बैक्टीरिया ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में उत्सर्जित करते हैं।

फॉस्फीन को कारखानों में भी बनाया जा सकता है, लेकिन शुक्र ग्रह पर तो कारखाने है ही नहीं; और निश्चित रूप से वहां कोई पेंगुइन भी नहीं हैं। तो शुक्र ग्रह पर ये गैस क्यों है और वो भी ग्रह की सतह से 50 किमी ऊपर? यह सवाल खींचता है। इसलिए संभावना जताई गई है कि हो सकता है शुक्र ग्रह के बादलों में सूक्ष्म जीव तैर रहे हैं। हालांकि वैज्ञानिकों की टीम ने शुक्र पर जीवन मिलने का दावा नहीं किया है, बल्कि कहा है कि इस संभावना के बारे में और पता लगाया जाना चाहिए।

इसे ही ध्यान में रखते हुए इसरो ने शुक्रग्रह मिशन के लिए 20 प्रस्तावों का चयन किया है। इसरो ने शुक्र का अध्ययन करने के लिए अंतरिक्ष आधारित नए प्रयोगों की घोषणा की थी, जिसके बाद इसके लिए भारतीय और अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक उपकरण के प्रस्ताव आए। इसमें से 20 प्रस्तावों का चयन किया गया है। भारत में स्वीडन के राजदूत क्लास मोलिन  ने कहा कि स्वीडिश इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस फिजिक्स (IRF) इस उद्यम में शामिल है, जो इसका भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान ISRO के साथ दूसरा वेंचर है।