बच्चों को स्कूल लाने के लिए टीचर खुद बना ड्राइवर

बेंगलुरु। समाचार ऑनलाइन

कर्नाटक के उडूपि जिले के बाराली गांव के सरकारी स्कूल के टीचर राजाराम इन दिनों टीचर के साथ-साथ ड्राइवर की भी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। वो स्कूल बस के ड्राइवर इसलिए बने हैं ताकि छात्र स्कूल दूर होने के कारण अपनी पढ़ाई न छोड़े। दरअसल, बच्चों के माता-पिता अपने बच्चों को ट्रांसपोर्ट की सुविधा उपलब्ध न होने के कारण सरकारी स्कूल में नहीं पढ़ाना चाहते थे। इस परेशानी को दूर करने के लिए राजाराम ने पुराने छात्रों से मदद लेकर बस खरीदी।

ड्राइवर को तनख्वाह नहीं दे सकता था स्कूल

ड्राइवर को 7 हजार रुपये तनख्वाह देनी पड़ती थी, जो स्कूल नहीं दे सकता था। इसलिए राजाराम ने खुद बस चलाने का काम शुरू कर दिया। वह कहते हैं, इस स्कूल में सिर्फ 4 ही टीचर हैं। मेरा घर स्कूल से काफी करीब है। इसलिए मैंने सोचा कि ये जिम्मेदारी मुझे ही उठानी चाहिए। मैं मिनी बस चलाता हूं। बच्चों की सेफ्टी भी सबसे ज्यादा जरूरी है।

स्कूल में बच्चों की संख्या बढ़ी

स्कूल बस चलने के बाद स्कूल में बच्चों की संख्या भी बढ़ गई है। पहले जहां 50 थे वो अब 90 हो गए हैं।स्कूल दूर होने की वजह से बच्चों को रोज 5 से 6 किलोमीटर पैदल आना पड़ता था। कुछ बच्चों ने तो स्कूल तक आना बंद कर दिया था। दिन-ब-दिन बच्चे कम होते जा रहे थे। अगर ऐसे ही कम होते तो स्कूल को बंद करना पड़ सकता था।

बच्चों के चहेते टीचर राजाराम

राजाराम स्कूल के बच्चों के सबसे चहेते टीचर हैं। वो गणित, विज्ञान के साथ-साथ पीटी भी सिखाते हैं। वो जब स्कूल से छुट्टी लेकर भी जाते हैं तो इस बात का ध्यान रखते हैं कि बच्चे स्कूल टाइम पर पहुंच रहे हैं या नहीं।