टीचर्स डे स्पेशल मूवीज 

पुणे : समाचार ऑनलाइन 
बॉलीवुड में गंभीर मुद्दे वाली खास तौर पर एजुकेशन सिस्टम पर फिल्में बहुत ही कम बनती है। एक वजह यह भी हो सकती है कि, ऐसी फिल्में ज्यादा कमाई नहीं कर पाती। हालांकि पिछले कुछ सालों में ऐसी कई फिल्में बनी हैं, जिनकी सराहना और सफलता इन तर्कों को आसानी से खारिज करती नजर आती हैं। आज कल लोग ऐसी फिल्में देखना काफी पसंद कर रहे है।
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एजुकेशन सिस्टम पर बानी यह फिल्में एजुकेशन सिस्टम के लिए आईने की तरह है। इनमें से कुछ फिल्में बॉक्स ऑफिस पर बेहद कामयाब भी हुईं है। शिक्षक दिवश पर हम ऐसी ही फिल्मों के बारे में बताने जा रहे है जिन्होंने एजुकेशन सिस्टम की सचाई सामने लाई है।
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इस लिस्ट में सबसे पहले नाम आता है 2007 में आई आमिर खान की सुपर हिट फिल्म “तारे जमीन पर” की। इस फिल्म में चाइल्ड एक्टर दर्शील सफारी ने शानदार काम किया था। फिल्म में एक ऐसे स्टूडेंट की कहानी दिखाई गई है जो dyslexic की बीमारी से पीड़ित है। टीचर और स्टूडेंट के बीच बॉन्ड को बेहतरीन तरीके से दिखाया गया। बताया गया कि कैसे एजुकेशन सिस्टम बच्चे की असली जरूरत को पहचानने में फेल हुआ है। इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर शानदार कामयाबी हासिल की।
एजुकेशन सिस्टम को आइना दिखने वाली एक और बेहतरीन फिल्मों में से एक है “3 इडियट्स” , मूवी में बताया गया कि अपनी पसंद के प्रोफेशन का करियर चुने। पैरेंट्स का मन रखने के लिए अपने सपनों की बली ना दें। रट्टा ना मारकर ज्ञान को समझें। इस फिल्म में पैरेंट्स को भी सीख दी गई है कि, अपनी मर्जी बच्चों पर न थोपे।
मल्टीस्टारर मूवी “आरक्षण” की कहानी सरकारी नौकरी, स्कूल, कॉलेज के कास्ट रिजर्वेशन सिस्टम पर आधारित है. प्रकाश झा के डायरेक्शन में बनी मूवी में अमिताभ बच्चन, सैफ अली खान, दीपिका, प्रतीक बब्बर, मनोज बाजपेयी नजर आए। इस फिल्म में शिक्षा में बढ़ते बाजारीकरण का उल्लेख किया गया है।  इरफान खान स्टारर मूवी “हिंदी मीडियम” में दिखाया गया कि स्कूलों में कोटा सिस्टम होने की वजह से पैरेंट्स को किन परेशानियों से जूझना पड़ता है. अपने बच्चे को अच्छी एजुकेशन देने के लिए पैरेंट्स को किस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
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ऐसी ही और भी कुछ फिल्में आई जैसे – “स्टेनली का डिब्बा” एक ऐसे बच्चे की कहानी है जिसमें टीचर स्टूडेंट्स को अपने साथ लंचबॉक्स शेयर करने को कहता है। जो ऐसा नहीं करता उसे स्कूल में आने से रोकता है।
फिल्म “चॉक एंड डस्टर” में दिखाया गया कि कैसे भारत का एजुकेशन सिस्टम दिनोदिन बदलता जा रहा है। इसमें टीचर्स और यंग जनरेशन के बीच कम्युनिकेशन गैप को दिखाया गया।
फालतू” मूवी बॉक्स ऑफिस पर हिट नहीं हुई थी। लेकिन इसने एक खास मैसेज जरूर दिया था। मूवी में एजुकेशन सिस्टम की खामियों को दिखाया गया था। इसके अलावा बताया गया कि कैसे अपनी हॉबी को प्रोफेशन में बदला जा सकता है।
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