सहायक धर्मादाय आयुक्त को प्रॉपर्टी जब्त करने का आदेश देने का अधिकार मिला

 पुणे : समाचार ऑनलाईन –  कानून में नये जोड़े गए अधिनियम की धारा 412 फ के अनुसार उप अथवा सहायक धर्मादाय आयुक्त द्वारा की गई जांच के बाद दोषी पाए गए ट्रस्टी और अन्य व्यक्ति के खिलाफ रिपोर्ट देने और ट्रस्ट की प्रॉपर्टी को जब्त करने का आदेश देने का अधिकार प्राप्त हो गया है। महाराष्ट्र ट्रस्ट व्यवस्था नियम, 1951 के तहत 15 मई को सर्कुलर जारी कर यह अधिकार दिया गया। इसमें सुधार के लिए ट्रस्ट से संबंधित कोई भी दो व्यक्ति शिकायत कर सकते हैं।

दोषी को 6 महीने से एक साल तक जेल संभव
सह धर्मादाय आयुक्त सुधारित नियम 25 फ के अनुसार शिकायत की जांच कर दोषी लोगों को 6 महीने से एक वर्ष के जेल की सजा दे सकते हैं। नुकसान की भरपाई के लिए दोषी व्यक्ति की प्रॉपर्टी जब्त करने को लेकर वे जिलाधिकारी को आदेश दे सकते हैं। इस आदेश से संबंधित व्यक्ति की प्रॉपर्टी जब्त कर उसकी बिक्री कर ट्रस्ट के हुए नुकसान की भरपाई की जाएगी। दोषी ठहराए गए ट्रस्टी को जेल और जब्ती के आदेश के खिलाफ सीधे हाईकोर्ट से मदद मांगनी पड़ेगी। इस नये सुधार से ट्रस्ट और धर्मादाय संस्था की बदली हुई रिपोर्ट और वार्षिक हिसाब को तुरंत डिजिटाइजेशन करने का महत्वपूर्ण प्रावधान भी किया गया है।

धर्मादाय की वेबसाइट पर सारी डिटेल डालनी जरूरी
संशोधित नियम लागू होने के बाद से आए बदलाव की रिपोर्ट के मंजूर होने पर 7 दिनों में आदेश को स्कैन कर संबंधित संस्था व धर्मादाय विभाग की वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी उप अथवा सहायक धर्मादाय आयुक्त को दी गई। इस मामले की सुनवाई का नोटिस भी धर्मादाय विभाग के वेबसाइट पर जारी करना होगा। लेखा परीक्षकों को वार्षिक लेखा परीक्षण होने के 15 दिनों के अंदर उसे धर्मादाय विभाग की वेबसाइट पर रजिस्टर्ड करना होगा। संशोधित अनुसूचि 9 डफ के अनुसार उसके साथ संस्था की पिछले तीन वर्षों की आयकर विवरण का रसीद, पैन नंबर, संस्था की देनदारी पर आयकर माफ होगा। इसकी जानकारी और महत्व को देखते हुए सभी ट्रस्टी के पैन नंबर देने होंगे।

आर्थिक लेनदेन में पारदर्शिता आएगी
पब्लिक ट्रस्ट प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन के ट्रस्टी एड्. शिवराज प्र. कदम-जहागिरदार ने कहा कि धर्मादाय संस्था की फंड या मनमाने तरीके से प्राइवेट प्रॉपर्टी के इस्तेमाल के गैर कानूनी कार्यों पर इस संशोधन से लगाम लगेगी। बदले गए रिपोर्ट के पीटीआर को तुरंत रजिस्ट्रर्ड करने की अनिवार्यता होने के बावजूद मौजूदा ट्रस्टी की अपडेटेड जानकारी नहीं मिल पाई है। लेखा परीक्षण रिपोर्ट के साथ संस्था के आयकर विवरण पत्र प्रस्तुत किए जाने की जानकारी अनिवार्य किया गया है। इससे आर्थिक लेन-देन में पारदर्शिता आएगी।