पादरी के पत्र पर भड़के भाजपा और संघ

नई दिल्ली: कैथोलिक चर्च के मुख्य पादरी अनिल कोटो के एक पत्र ने सियासी हलचल बढ़ा दी हैं। संघ ने जहां इसे धर्मांतरण और फंडिंग पर रोक का परिणाम करार दिया है, वहीं गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि देश में मजहब के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता है, देश में सभी अल्पसंख्यक सुरक्षित है। दरअसल, पादरी अनिल कोटो ने देशभर के अन्य पादरियों को पत्र लिख कर कहा है कि देश का लोकतंत्र खतरे में है, जिसका बचना बेहद जरूरी है। पादरी के पत्र में किसी पार्टी या सरकार का जिक्र तो नहीं है, लेकिन यह साफ है कि उनका निशाना केंद्र की मोदी सरकार है।

भाजपा नेता शायना एनसी ने कहा कि बहुत ही खराब संदेश है। एक कौम के लोग धर्मनिरपेक्ष देश में किसी पार्टी के खिलाफ वोट देने के लिए कह रहे हैं। वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे प्रोफेसर राकेश सिन्हा ने कहा कि पादरी  उद्योग पर डंडा चलने से वह घबराए हुए हैं। उन्होंने कहा, “यह पत्र भारत की धर्मनिरपेक्षता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर सीधा हमला है। यह सब बेटिकन के निर्देश पर हो रहा है। मोदी सरकार बनने के बाद इन्हें मिलने वाले पैसे में गिरावट आई है। यह पैसा ईसाई संगठनों को कई कामों के लिए मिलता था, लेकिन इससे केवल और केवल धर्मांतरण उद्योग चलता था।”

क्या लिखा है पत्र में?
अनिल कोटो ने लिखा है कि हमलोग अशांत राजनीतिक माहौल का गवाह बन रहे हैं। इसके कारण संविधान के लोकतांत्रिक मूल्यों और देश के धर्मनिरपेक्षता को खतरा है। देश और नेताओं के लिए प्रार्थना करना हमारी पवित्र परंपरा है। हमलोग साल 2019 की ओर बढ़ रहे हैं, इसी साल हमें नई सरकार मिलेगी। ऐसे में हमें 13 मई से अपने देश के लिए प्रार्थना अभियान शुरू करना चाहिए।