आरक्षण के मुद्दे पर केंद्र सरकार कर सकती है यह बड़ा फैसला

नई दिल्ली । समाचार ऑनलाइन

महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की लड़ाई उग्र बनती जा रही है। गुरुवार को लगातार चौथे दिन पूरा राज्य आंदोलन की आग में झुलसता रहा। इस बीच केंद्र सरकार सभी जातियों को आर्थिक आधार पर आरक्षण देने पर विचार कर रही है। सूत्रों के मुताबिक, सरकार सभी जातियों में आर्थिक रूप से पिछड़े और कमज़ोर तबकों को आरक्षण देने पर विचार कर रही है। हालांकि इसकी चर्चा अभी प्रारंभिक स्तर पर शुरू हुई है। राज्यसभा के शून्य प्रहर में आरपीआई सुप्रीमो व सांसद रामदास आठवले ने भी एससी, एसटी, ओबीसी आरक्षण को छुए बिना सभी जातियों को आर्थिक आधार पर आरक्षण देने की मांग की है।

देश के कई राज्यों में आरक्षण को लेकर अलग अलग समुदायों की तरफ से मांग उठती रही है और हमेशा सरकारें या राजनीतिक दल इन मांगों को पूरा करने के नाम पर झूठे वादे करते रहे हैं। हांलाकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक, कोई भी राज्य 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण नहीं दे सकता। मौजूदा व्यवस्था के तहत देश में अनुसूचित जाति के लिए 15 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के लिए 7.5 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण है। नतीजन विभिन्न राज्यों में आरक्षण की मांग को लेकर लगातार उग्र आंदोलन हो रहे हैं। फिलहाल इस आग में महाराष्ट्र झुलस रहा है, जहां मराठा समुदाय आरक्षण की मांग को लेकर आक्रोशित हो गया है। लगातार चौथे दिन मराठा आंदोलन जारी रहा आज पुणे जिले में इसकी आंच पहुंची है।

[amazon_link asins=’B07DX1K7CT,B07D11MDBS,B076H74F8N’ template=’ProductCarousel’ store=’policenama100-21′ marketplace=’IN’ link_id=’5e47f098-90c5-11e8-9b15-9518fed654de’]

आरक्षण की मांग को लेकर लगातार हो रहे उग्र आंदोलन को गंभीरता से लेते हुए केंद्र सरकार ने भी सभी जातियों में आर्थिक रूप से पिछड़े और कमज़ोर तबकों को आरक्षण देने पर विचार करना शुरू कर दिया है। राज्यसभा के शून्य प्रहर में आरपीआई सुप्रीमो व सांसद रामदास आठवले ने एससी, एसटी, ओबीसी आरक्षण को छुए बिना सभी जातियों को आर्थिक आधार पर आरक्षण देने की मांग की है। उन्होंने यह भी कहा है कि आर्थिक आधार पर मराठा, जाट, राजपूत, पाटीदार, गुज्जर, लिंगायत, ब्राम्हण सभी सवर्ण जातियों को आर्थिक आधार पर 25 फीसदी आरक्षण दिया जाना चाहिए। इसके लिए आरक्षण की मर्यादा 50 फीसदी से बढ़ाकर 75 फीसदी करना चाहिए। इसके लिए संविधान में बदलाव लाने संबंधी विधेयक पारित करने और आर्थिक आरक्षण के लिए सालाना आय की मर्यादा 8 लाख रुपए तय करने की सलाह भी दी है।