जीने की चाह ने समुद्र की लहरों को भी दी मात; 5 दिन समुद्र में तैरने के बाद बची जिन्दगी  

– तेज समुद्री तूफान की चपेट में आकर डूब गई थी नाव

– चिटगांव के पास बांग्लादेशी जहाज के क्रू ने बचाया

कोलकाता :  समाचार ऑनलाइन – अगर जीने की चाह हो तो इन्सान मौत के मूंह से भी बाहर आ सकता है. हाल ही में एक आश्चर्य में डालने वाला मामला सामने आया है. पश्चिम बंगाल का एक मछुआरा 5 दिनों तक समुद्र की लहरों से लड़ता रहा. तेज तूफानों के आगे हिम्मत नहीं हारी और आखिर में अपनी जिन्दगी की जंग जीतने में कामयाब हुआ.

यह घटना पश्चिम बंगाल की है. यहां के 24 परगना जिले के नारायणपुर के निवासी रवींद्र नाथ दास 4 जुलाई को मछली पकड़ने समुद्र में गया था. लेकिन 6 जुलाई को उनकी नाव तेज तूफान की चपेट में आ गई थी. इस समय रवीन्द्र के साथ 14 साथी थे.

चाहता था मौत आ जाए, लेकिन जीने की चाह हिम्मत देती रही

दास ने अपनी आपबीती कुछ इस तरह बयां कि – ” पांच दिनों तक मैंने कुछ नहीं खाया. बस पानी पिया. पानी भी बारिश का था. इन दिनों में बहुत मुश्किलें झेंली. कभी-कभी तो भगवान से प्रार्थना करता था कि मेरी मौत जल्दी आ जाए.  लेकिन फिर जीने की चाह मुझे हिम्मत दे देती रही.”  यह सब सुनकर तो यही कहा जा सकता है कि यह कुदरत का करिश्मा और रवीन्द्र के जीने की चाह ही थी जो वो बच पाया.

सभी साथी मारे गए ; तीन दिन तक भतीजे कंधे पर उठाए रखा

उक्त तूफान की चपेट में आकर रवीन्द्र के सभी साथी मारे गए. लेकिन उसका भतीजा बच गया था. उसके बाद वे दोनों साथ ही में थे. रवीन्द्र ने तीन दिन तक भतीजे कंधे पर उठाए रखा. लेकिन बदनसीबी से जहाज दिखने के कुछ समय पहले ही उसने दम तोड़ दिया.

बांग्लादेशी जहाज बना ‘सेवियर

 रवीन्द्र जैसे-तैसे तैर कर बांग्लादेश सीमा में पहुंच गया. बांग्लादेशी सीमा में पहुंचने के बाद 10 जुलाई को उसने चिटगांव के पास एक जहाज देखा. किसी तरह तैरते हुए वो जहाज के नजदीक पहुंचा. फिर क्रू मेम्बर्स की नजरों में आया. उसी समय  क्रू मेम्बर्स ने उसे पानी से निकाला. अभी उसकी हालत ठीक है और हॉस्पिटल में उसका ईलाज कराया जा रहा है.